वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों की डील से जुड़े घोटाले में इटली की कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड पर किसने ब्लैकलिस्ट किया, इस मुद्दे पर सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस के बीच जुबानी जंग जारी है। हालांकि, संसद के रिकॉर्ड्स से पता चलता है कि इस घोटाले को द इंडियन एक्सप्रेस अखबार द्वारा उजागर किए जाने के एक साल बाद दिसंबर 2013 तक कंपनी को ब्लैकलिस्ट नहीं किया था। खुद यूपीए सरकार ने राज्यसभा को जानकारी दी थी कि कंपनी को ब्लैकलिस्ट नहीं किया गया था।
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सत्ता से बेदखल होने के पांच महीने पहले 11 दिसंबर 2013 को तत्कालीन डिफेंस मिनिस्टर एके एंटनी ने राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी थी। पूछा गया था कि क्या अगस्ता को ब्लैकलिस्ट किया गया, एंटनी ने ना में जवाब दिया था। एंटनी ने कहा था कि सरकार के कारण बताओ नोटिस भेजने के बाद कंपनी का जवाब ‘अंडर प्रोसेस’ था। इसी जवाब में यूपीए सरकार ने यह भी कबूला था कि उसने कथित बिचौलिए क्रिश्चियन माइकल को भारत भेजे की मांग नहीं की है। बता दें कि कुछ दिन पहले ही एनडीए सरकार ने एलान किया है कि वह माइकल के प्रत्यर्पण की कोशिश कर रही है।
असल घोटाला 2006 में हुआ। इसके बाद से हुई कई जांच और इटली की अदालत में चले मामले से ये खुलासा हुआ कि 3600 करोड़ रुपए की इस डील को पाने में घूस के तौर पर 51 मिलियन यूरो की रकम दी गई। जनवरी 2014 में यह डील कैंसल हो गई थी। हाल ही में इटली की अदालत में इस मामले में दो अधिकारियों को सजा सुनाए जाने के बाद कांग्रेस ने दावा किया था कि यूपीए सरकार ने अगस्ता वेस्टलैंड को ब्लैकलिस्ट किया जबकि एनडीए सरकार ने उसे काली सूची से हटा लिया। वहीं, एनडीए के कई सीनियर मंत्रियों ने इस दावे को खारिज किया था।
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