केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली से सटी सीमाओं पर किसानों का आंदोलन दो महीने से भी ज्यादा समय से जारी है। शुक्रवार को सरकार और किसान नेताओं के बीच 11वें राउंड की बैठक हुए लेकिन यह भी बेनतीजा रही। सरकार कानून को डेढ़ साल तक निलंबित करने की बात कह रही है। लेकिन किसान कानून रद्द करने की मांग पर आड़े हुए हैं।
सरकार और किसान नेताओं के बीच शुक्रवार को विज्ञान भवन में हुई यह बैठक 4 घंटे तक चली, लेकिन 15-20 मिनट ही ठोस बातचीत हुई। इस बैठक के बाद किसानों के अड़ियल रुख पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार इससे बढ़िया प्रस्ताव नहीं दे सकती। तोमर ने कहा “सरकार आपके सहयोग के लिए आभारी है। कानून में कोई कमी नही है। हमने आपके सम्मान में प्रस्ताव दिया था। आप निर्णय नहीं कर सके। आप अगर किसी निर्णय पर पहुंचते है तो सूचित करें। इस पर फिर हम चर्चा करेंगे। आगे की कोई तारीख तय नहीं है।”
वहीं एक किसान नेता ने बताया कि, सरकार ने आज ये प्रस्ताव भी दिया कि हम एक कमेटी कृषि कानून पर बना देते हैं और एक कमेटी एमएसपी पर बना देते हैं। दोनों समितियां अपनी रिपोर्ट देंगी और हम डेढ़ की बजाय दो साल के लिए कानूनों पर रोक लगा देते हैं। लेकिन सरकार ने पहले बनाई गई किसी समिति की सिफारिशों को लागू नहीं किया गया तो हम कैसे मान लें इन समितियों की सिफारिश सरकार मानेगी।
राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार कक्का ने कहा, ‘लंच ब्रेक से पहले, किसान नेताओं ने कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग दोहराई और सरकार ने कहा कि वे संशोधन के लिए तैयार हैं। मंत्री ने हमें कहा कि आप सरकार के प्रस्ताव पर विचार करें और हमने उनसे हमारे प्रस्ताव पर विचार के लिए कहा। इसके बाद मंत्री बैठक से निकल गए। इसके बाद से ही किसान नेता मंत्री के लौटने का इंतजार करते रहे।’
किसान नेता ने कहा “सरकार द्वारा जो प्रस्ताव दिया गया था वो हमने स्वीकार नहीं किया। कृषि क़ानूनों को वापस लेने की बात को सरकार ने स्वीकार नहीं की। अगली बैठक के लिए अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है। वहीं भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा “सरकार की तरफ से कहा गया कि 1.5 साल की जगह 2 साल तक कृषि क़ानूनों को स्थगित करके चर्चा की जा सकती है। उन्होंने कहा अगर इस प्रस्ताव पर किसान तैयार हैं तो कल फिर से बात की जा सकती है, कोई अन्य प्रस्ताव सरकार ने नहीं दिया।