लोकसभा चुनाव से ऐन पहले लगातार बीजेपी के साथियों के तेवर आक्रामक हो रहे हैं। सोमवार (7 जनवरी) को उसे एक ही दिन में दो झटके लगे। असम में जहां असोम गण परिषद (एजीपी) ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया, वहीं यूपी में अपना दल ने चेतावनी भरे लहजे में बातचीत की। बिहार में एक साथी ने पहले ही एनडीए से नाता तोड़ लिया है। लखनऊ में अपना दल (सोनेलाल) के अध्यक्ष आशीष पटेल ने अपने नेताओं से कहा कि बीजेपी गठबंधन की छोटी साझीदार पार्टियों को लेकर रवैया नहीं बदलती है तो उनकी नेता अनुप्रिया पटेल कोई भी फैसला ले सकती हैं। इस फैसले में पूरी पार्टी साथ होगी। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि वह फैसला गठबंधन से हटने का भी हो सकता है या नहीं। आशीष पटेल ने कहा कि उनकी पार्टी पूरी तरह गठबंधन धर्म निभा रही है, इसके बावजूद उत्तर प्रदेश में पार्टी को उचित सम्मान नहीं मिल रहा है।शिकायत योगी सरकार से है: आशीष ने कहा कि उनकी पार्टी की नेता अनुप्रिया पटेल केंद्रीय मंत्री हैं, फिर भी उनके मंत्रालय से जुड़ी योजनाओं से संबंधित कार्यक्रम में उन्हें नहीं बुलाया जाता। इसके अलावा राज्य की बीजेपी सरकार निगम के चेयरमैन आदनियुक्त करने में अपना दल (एस) की पूरी तरह अनदेखी कर रही है।
पार्टी की कहानी: अपना दल (सोनेलाल) 1995 में स्थापित अपना दल से अलग होकर बनी पार्टी है। अपना दल की स्थापना सोने लाल पटेल ने की थी, जबकि अपना दल (सोनेलाल) बनाने वाले नेता का नाम जवाहर लाल पटेल है। जवाहर मूल अपना दल के संस्थापकों में से एक रहे थे। अक्टूबर 2014 में पहली बार अपना दल (सोनेलाल) की अंदरूनी कलह भी पहली बार सार्वजनिक हो गई थी। तब अनुप्रिया पटेल को उनके पद से हटा दिया गया था।
असम का झटका: यूपी में तो बीजेपी को साथी का चेतावनी भरा लहजा ही झेलना पड़ा, लेकिन सूदूर असम में सहयोगी पार्टी ने उसे झटक दिया। असोम गण परिषद (एजीपी) भाजपा की अगुआई वाली असम सरकार से सोमवार को समर्थन वापस ले लिया। एजीपी अध्यक्ष ने कहा- हम बीजेपी को आखिरी वक्त तक समझाते रहे कि केंद्र में नागरिकता बिल पास न करे। लेकिन, पार्टी नहीं मानी और कहा कि आठ जनवरी को लोकसभा में यह बिल पास होगा। इसके बाद सरकार में बने रहने का कोई मतलब नहीं है। बता दें कि जब से बीजेपी ने यह बिल पास कराने का संकेत दिया था, तभी से एजीपी इसके विरोध में थी और भाजपा से संबंध तोड़ने की धमकी भी दे रही थी।
बिहार में भी लग चुका है झटका: करीब एक महीना पहले बिहार की पार्टी आरएलएसपी ने एनडीए से नाता तोड़ लिया था। पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा मोदी सरकार में मानव संसाधन राज्य मंत्री भी थे। लेकिन, 2019 चुनाव में ज्यादा सीटें लड़ने के लिए नहीं मिलने पर एनडीए छोड़ दिया।शिवसेना भी दिखा रही तेवर: एनडीए की पुरानी सहयोगी रही शिवसेना भी लगातार बीजेपी को तेवर दिखा रही है। पार्टी के नेता रोज न केवल बीजेपी और प्रधानमंत्री के खिलाफ बयान दे रहे हैं, बल्कि मुखपत्र ‘सामना’ में भी खुल कर भाजपा की मुखालफत की जा रही है।