बिहार के टॉपर घोटाले की जांच कर रही स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (SIT) को एक नए घोटाले का पता चला है। टॉपर घोटाले के मुख्य आरोपी और राज्य शिक्षा बोर्ड के तत्कालीन चीफ लालकेश्वर प्रसाद सिंह के कार्यकाल में 8.5 करोड़ रुपए के घपले को अंजाम दिया गया। लालकेश्वर 25 अन्य आरोपियों के साथ फिलहाल जेल में कैद है। एसआईटी के प्रमुख व पटना के एसएसपी मनु महाराज ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ”टॉपर्स व मान्यता घोटाले में ताजा प्रिंटर घोटाला सामने आया है। यह घोटाला हुआ तो लालकेश्वर सिंह के कार्यकाल में ही, मगर फरार मुख्य आरोपी BSEB का स्टोर कीपर विकास है। यह घोटाला 8.5 करोड़ रुपयों का है।” महाराज ने यह भी कहा कि वरिष्ठ बोर्ड अधिकारियों, तत्कालीन चेयरमैन लालकेश्वर प्रसाद सिंह और तत्कालीन सचिव हरिनाथ झा ने विकास को आंसरशीट्स जुटाने के लिए फर्जी टेंडर निकालने के लिए राजी किया।
टेंडर मथुरा की एक प्रिंटिंग कंपनी को दिए जाने के बावजूद, आंसरशीट्स अहमदाबाद की एक कंपनी से मंगाई गई। एसएसपी ने बताया, ”हमने प्रिंटर्स घोटाले में एक अलग एफआईआर दर्ज की है, जिसमें लालकेश्वर का दामाद विवेक, जो कि फरार है, भी एक आरोपी है। एक रेलवे इंजीनियर होने के बावजूद, विवेक BSEB टेंडर मैनेज करने में अपने ससुर का साथ देता था।” एसएसपी ने यह भी कहा कि टेंडर प्रक्रिया में एक फर्जी ईमेल आईडी का प्रयोग किया गया और टेंडर के नियमों का उल्लंघन हुआ। BSEB स्टोर कीपर विवेक ने कथित तौर पर राजकुमार के नाम से एक ईमेल आईडी बनाई और टेंडर के बारे में गुजरात की कंपनी के मालिक को बताया। एसएसपी ने विकास को मास्टरमाइंड बताते हुए कहा, ”गुजरात की जिस कंपनी ने पटना में आंसरशीट्स की डिलीवरी की, उसे बाद में बताया गया कि टेंडर असल में मथुरा की कंपनी को मिला था। यह विकास ही था, जिसने बोर्ड अधिकारियों के साथ मिलकर टेंडर फ्रॉड को अंजाम दिया।”
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दूसरी तरफ, बिहार राज्य शिक्षा बोर्ड अभी तक उन स्कूल और इंटर कॉलेजों की अपनी इंस्पेक्शन रिपोर्ट सामने नहीं कर पाया है, जिन्हें लालकेश्वर के समय में मान्यता दी गई थी।