पंजाब सरकार ने सीमा से 10 किलोमीटर के इलाके में गांवों को खाली करने के आदेश दिए हैं। पंजाब के फाजिल्का और फिरोजपुर जिले के सैंकड़ों गांवों की महिलाएं और बच्चे अपने रिश्तेदारों के घर चले गए हैं। हालांकि, पुरुष अपने घरों पर ही रुके हैं। ऐसे ही हालात साल 1965, 1971 और 1999 के युद्ध के वक्त थे। फाजिल्का जिले के बेरिवाला गांव के लक्ष्मण सिंह ने बताया, ‘साल 1971 और 1965 के युद्ध के वक्त भी अपने घरों की देखभाल के लिए रुक गए थे। हम युद्ध नहीं चाहते, क्योंकि इससे सबसे ज्यादा नुकसान हमें होता है, लेकिन हम लोग जो भी होगा उसके लिए तैयार हैं।’

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सीमा से 10 किलोमीटर के इलाके में फाजिल्का जिले के 150 और फिरोजपुर जिले के 304 पड़ते हैं। फिरोजपुर जिले के भाजपा नेता सुखपाल सिंह नन्नू ने बताया, ‘कारगिल युद्ध के वक्त भी हुसैनीवाला इलाके में बहुत सारे लोग अपने गांवों में ही रुक गए थे। उन्होंने सुरक्षाबलों के लिए लंगर का इंतजाम भी किया था। इसमें कोई शक नहीं है कि उन्हें सावधान रहने की जरूरत है, लेकिन उन्हें भरोसा है। यहां ज्यादा टेंशन नहीं है।’

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फिरोजपुर जिले के एक गांव के रहने वाले संदीप कुमार हर रोज शहर काम के लिए आते हैं। उनका कहना है, ‘जब मैंने यह खबर देखी तो बहुत दुखी हुआ। मैंने मेरे घर पर अपने परिजनों को फोन किया तो उन्होंने बताया कि सीमा के पास रहने वाले कुछ लोगों ने ही अभी दूसरी जगह जाना शुरू किया है।’ फिरोजपुर जिले में सीमा से सबसे नजदीक गांव टिंडीवाला में लोगों का कहना है कि उन्होंने अपने ज्वैलरी, कैश और कुछ कपड़े पैक कर लिए हैं।

फाजिल्का और फिरोजपुर जिले के डिप्टी कमीश्नर ने बताया कि हर जिले में स्कूलों और कॉलेज में 26 राहत कैंप बनाए गए हैं। फिरोजपुर में सभी स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। फाजिल्का की डीसी ईशा कालिया का कहना है, ‘हमने बोर्डर से 10 किलोमीटर दूर वाले इलाकों में राहत कैंप बनाए गए हैं। जो लोग वहां शिफ्ट होंगे उन्हें हर सुविधा देंगे। अभी लोग अपने रिश्तेदारों के घर में शिफ्ट हो रहे हैं। परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है।’

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फिरोजपुर के डीसी डीपीएस खरबंदा ने कहा, ‘गांव वालों के लिए अपने घर छोड़ना जरूरी नहीं है, अगर कोई कैंप में शिफ्ट होना चाहता है तो हम लोग उनका ध्यान रखेंगे।