जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त होने के बाद केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार दिसंबर, 2019 में यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल संसद में पेश कर सकती है। एक अंग्रेजी वेबसाइट ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। टाइम्स नाऊ ने सूत्रों के हवाले से बताया कि यूसीसी का मसौदा तैयार किया जा रहा है।
बता दें कि एक भारत के लिए यूसीसी बिल एनडीए सरकार के राष्ट्रवादी दृष्टिकोण का हिस्सा रहा है। खास तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी का एक धड़ा अगले बड़े कानूनी उपाय के रूप में यूसीसी को लागू करने की मांग कर रहा है। हालांकि लॉ कमिशन ने साल 2018 में एक परामर्श पत्र में कहा था कि यूसीसी लागू करने पर सर्वसम्मति की कमी थी। कमिशन ने पत्र में भेदभाव दूर करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया था।
न्यायमूर्ति बीएस चौहान की अध्यक्षता वाले लॉ कमिशन की ओर से कानून मंत्रालय को भेजे परामर्श पत्र में कहा कि यूजीसी की अभी जरुरत नहीं है। संविधान सभा मे हुई बहस से पता चलता है कि यूसीसी को लेकर सभा में भी सर्वसम्मति नहीं थी। कई लोगों का मानना है कि यूसीसी और पर्सनल लॉ सिस्टम साथ-साथ रहना चाहिए, जबकि कुछ का मानना था कि यूसीसी को पर्सनल लॉ की जगह लाया जाना चाहिए। बहस के दौरान कुछ का यह भी मानना था कि यूसीसी का मतलब धर्म की आजादी को खत्म करना था।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने पाया कि पूरे भारत में एक समान नागरिक संहिता नागरिकों के लिए सुरक्षित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। गोवा से जुड़े एक केस का उदाहरण देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘मुस्लिम शख्स, जिसका विवाह गोवा में पंजीकृत है वो बहुविवाह नहीं कर सकते हैं।’ कोर्ट ने आगे कहा कि इस्लाम के धर्म के मानने वाले के लिए मौखिक तलाक का कोई प्रावधान नहीं है।’
इस बीच, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बुधवार को यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने को कहा। ठाकरे ने कहा, ‘अनुच्छेद 370 को खत्म करके बाला साहेब ठाकरे का सपना पूरा हो गया है। अब हम यूनिफॉर्म सिविल कोड चाहते हैं।’