नेपाल ने एक तरफ भारत के शीर्ष राजनयिकों के साथ सोमवार को डिजिटल बैठक कर भारत की मदद से नेपाल में चल रहीं विकास संबंधी परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की और इनके कार्यान्वयन में तेजी लाने का फैसला किया। दूसरी तरफ खुफिया सूत्रों ने बताया कि नेपाल सरकार कालापानी में अपना दावा जताने के लिए एक किताब निकालने की तैयारी कर रही है, जिसे दूतावास के जरिए विभिन्न देशों में भेजा जाएगा। बताया जाता है कि पड़ोसी देश ऐसा इसलिए कर रहा है ताकि कालापानी पर नेपाल के दावे को लेकर दूसरे देशों की सहानुभूति हासिल की जा सके।
जानकारी ये भी मिली है कि नेपाल गूगल को इस बात के लिए भी राजी कर सकता है कि वो नेपाली वर्जन का नक्शा भी दिखाए। सरकार ने कुछ दिन पहले ही नए नक्शे को मंजूरी दी है। नए नक्शे में कालापानी के साथ भारत के लिम्पयाधुरा और लिपुलेख को भी नेपाल का हिस्सा बताया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नया नक्शा जारी करने के बाद वहां के संसद सचिवालय ने नया लोगो भी बनवाया है। नया लोगो आने के बाद सांसद सदस्य और विभिन्न नेता खासे नाराज बताए जाते हैं। सांसदों का आरोप है कि इसमें देश, नक्शे और झंडे को गलत तरीके से दिखाया गया है। मामले में कार्रवाई की मांग भी की जा रही है।
सांसदों का तर्क है कि लोगो पर झंडा फहराता हुआ नहीं है। झंडे पर चांद और सूरज भी नहीं मिल रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक नए लोगो पर संसद सचिवालय ने बीस लाख नेपाली रुपए खर्च किए हैं। लोगो में दस ग्राम चांदी और सोन की परत चढ़ी हुई है। बीते शुक्रवार को 684 लोगो जारी भी किए गए हैं।
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बता दें कि इससे पहले नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली भगवान राम पर एक बयान देकर नए विवाद को जन्म दे दिया था। उन्होंने कहा था कि राम की नगरी अयोध्या भारत के उत्तर प्रदेश में नहीं बल्कि नेपाल के बाल्मिकी आश्रम के पास है। बाल्मिकी रामायण का नेपाली अनुवाद करने वाले नेपाल के आदिकवि भानुभक्त की जन्म जयन्ती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए ओली ने यह दावा किया।
हाल में भगवान बौद्ध को लेकर भी भारत और नेपाल के बीच बयानों का दौर चला था। दरअसल नेपाली मीडिया में आई खबरों में कहा गया कि भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुद्ध को भारतीय बताया था। हालांकि बाद में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने स्पष्ट करते हुए कहा कि विदेश मंत्री की टिप्पणी साझा बौद्ध विरासत के बारे में थी। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि गौतम बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में हुआ जो कि नेपाल में हैं।