जम्मू-कश्मीर के कठुओ में बादल फटने की खबर है, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चार लोगों की इसमें मौत हुई है। मौके पर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि कई लोग मलबे में दबे हुए हैं और उन्हें ही बचाने की कोशिश हो रही है। इससे पहले जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में भी बादल फटा था, उस त्रासदी में अब तक 60 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है।

अब जानकारी के लिए बता दें कि जम्मू-कश्मीर के कठुआ में कई दिनों से भारी बारिश का दौर जारी है। इस बारिश के बीच ही बादल फटा है, इससे कई घरों को नुकसान पहुंचा है, चिंता की बात यह है कि जम्मू-पठानकोट नेशनल हाईवे पर भी मलबा पहुंचा है। आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक कठुओ के राजबाग इलाके में बादल फटा है, लोगों में अफरा-तफरी का माहौल है।

दिलवान-हुटली क्षेत्र में भी भारी बारिश के कारण भूस्खलन की खबरें हैं, लेकिन उससे ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। अब इस समय पूरे जम्मू-कश्मीर में ही मौसम की मार देखने को मिल रही है। इसके अलावा उत्तराखंड में भी भारी बारिश का दौर जारी है, वहां भी धराली में बादल फटने से कई लोगों की मौत हुई है, कई तो लापता भी बताए जा रहे हैं। अब यहां पर समझने की कोशिश करते हैं कि बादल फटना क्या होता है, आखिर बादल क्यों फटते हैं।

क्या होता है Cloudburst?

बादल फटना भारी बारिश की गतिविधि को कहते हैं। हालांकि, बहुत भारी बारिश की सभी घटनाएं बादल फटना नहीं होतीं। बादल फटने की एक बहुत ही विशिष्ट परिभाषा है: लगभग 10 किमी x 10 किमी क्षेत्र में एक घंटे में 10 सेमी या उससे अधिक बारिश को बादल फटने की घटना के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इस परिभाषा के अनुसार, उसी क्षेत्र में आधे घंटे की अवधि में 5 सेमी बारिश को भी बादल फटने की श्रेणी में रखा जाएगा।

बादल फटने की घटना के दौरान, किसी स्थान पर एक घंटे के भीतर वार्षिक वर्षा का लगभग 10% वर्षा हो जाती है। औसतन, भारत में किसी भी स्थान पर एक साल में लगभग 116 सेमी वर्षा होने की उम्मीद की जा सकती है।

बादल फटना कितना आम है?

बादल फटना कोई असामान्य घटना नहीं है, खासकर मानसून के महीनों में। ये घटनाएं ज़्यादातर हिमालयी राज्यों में होती हैं जहां स्थानीय स्थलाकृति, विंड सिस्टम और निचले व ऊपरी वायुमंडल के बीच टेम्परेचर ग्रेडिएंट ऐसी घटनाओं को बढ़ावा देते हैं। हालाँकि, हर घटना जिसे बादल फटना कहा जाता है, वास्तव में परिभाषा के अनुसार बादल फटना नहीं होती। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये घटनाएँ काफी लोकल होती हैं। ये बहुत छोटे क्षेत्रों में होती हैं जहां अक्सर बारिश मापने वाले उपकरण नहीं होते।

भारतीय मौसम विभाग वर्षा की घटनाओं का पूर्वानुमान तो काफी पहले लगा देता है, लेकिन वह वर्षा की मात्रा का अनुमान नहीं लगाता—दरअसल, कोई भी मौसम विज्ञान एजेंसी ऐसा नहीं करती। पूर्वानुमान हल्की, भारी या बहुत भारी वर्षा के हो सकते हैं, लेकिन मौसम वैज्ञानिकों के पास यह अनुमान लगाने की क्षमता नहीं होती कि किसी भी स्थान पर कितनी वर्षा होने की संभावना है।