राजधानी स्थित प्रगति मैदान में अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय प्रदर्शनी 2023 का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘गुलामी के सैकड़ों वर्षों के लंबे कालखंड ने भारत का एक नुकसान यह भी किया कि हमारी लिखित और अलिखित बहुत सारी धरोहर नष्ट कर दी गर्इं। हमारी कितनी ही पांडुलिपियां और पुस्तकालय गुलामी के कालखंड में जला दिए गए। यह केवल भारत का ही नहीं, पूरी दुनिया और पूरी मानवजाति का नुकसान था।’

उन्होंने कहा, ‘दुर्भाग्य से आजादी के बाद अपनी धरोहरों को संरक्षित करने के जो प्रयास होने चाहिए थे, वह हो नहीं पाए। लोगों में धरोहरों के प्रति जागरूकता की कमी ने इस संकट को और ज्यादा बढ़ा दिया इसलिए आजादी के अमृत काल में भारत ने जिन ‘पंच प्राणों’ की घोषणा की है उनमें सबसे ज्यादा प्रमुख ‘अपनी विरासत पर गर्व’ करना है।’

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आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में 47वें अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस (आइएमडी) का जश्न मनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। इस वर्ष के लिए अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस का विषय ‘संग्रहालय, स्थिरता और कल्याण’ है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने नार्थ ब्लाक और साउथ ब्लाक में राष्ट्रीय संग्रहालय के एक ‘वर्चुअल वाकथ्रू’ का उद्घाटन किया।

यह संग्रहालय भारत के अतीत से संबंधित उन ऐतिहासिक घटनाओं, व्यक्तित्वों, विचारों और उपलब्धियों को उजागर करने और प्रदर्शित करने का एक व्यापक प्रयास है, जिन्होंने भारत के वर्तमान के निर्माण में योगदान दिया है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय प्रदर्शनी के शुभंकर, ‘ग्राफिक उपन्यास- संग्रहालय में एक दिन’, भारतीय संग्रहालयों की निर्देशिका, कर्तव्य पथ के पाकेट मानचित्र और संग्रहालय कार्ड का भी विमोचन किया।