नई दिल्ली में अफगानिस्तान का दूतावास (Embassy of Afghanistan) पूरी तरह बंद हो गया है। दूतावास ने प्रेस बयान जारी कर 1 अक्टूबर, 2023 से अपना परिचालन बंद करने के निर्णय की घोषणा कर दी है। इससे पहले सूत्रों के मुताबिक भारत में अफगान एंबेसी बंद करने के मामले की जांच की जा रही थी। दूतावास की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भारत की ओर से उनकी मदद नहीं की जा रही थी जिससे उन्हें काम करने में खासी दिक्कत हो रही थी, इसीलिए यह फैसला लिया गया है।
भारत तालिबान सरकार को मान्यता नहीं देता है और 2021 में तालिबान के नियंत्रण के बाद काबुल में अपना दूतावास बंद कर दिया था, लेकिन नई दिल्ली ने पूर्व अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार द्वारा नियुक्त राजदूत और मिशन कर्मचारियों को वीजा जारी करने की अनुमति दी थी।
दूतावास के बयान में क्या है?
एक आधिकारिक बयान में शनिवार को कहा गया कि इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान के दूतावास ने रविवार से भारत में अपना परिचालन बंद करने का फैसला किया है। बयान में लिखा है, “यह बेहद दुख, अफसोस और निराशा के साथ कहा जा रहा है कि नई दिल्ली में अफगानिस्तान का दूतावास अपना परिचालन बंद करने के इस फैसले की घोषणा करता है।”
भारत सरकार से समर्थन नहीं मिल पाने और अफगानिस्तान के हितों के पूरा करने में विफलता का हवाला देते हुए बयान में लिखा है, “दूतावास ने मेज़बान सरकार से सपोर्ट की कमी महसूस की जिससे हम अपना काम बेहतर तरीके से नहीं कर पाए।” दूतावास ने कहा कि यह फैसला बेहद अफसोसजनक है इसके बावजूद अफगानिस्तान और भारत के बीच ऐतिहासिक संबंधों और को ध्यान में रखते हुए विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया गया है।
दूतावास ने यह भी कहा कि भारत में राजनयिक समर्थन की कमी है। इसके अलावा बंद करने की अपनी घोषणा में अफगान दूतावास ने काम करने वाले लोगों और संसाधनों दोनों की कमी जैसी चुनौतियों का भी हवाला दिया। बयान में कहा गया है, “राजनयिकों के लिए वीज़ा से लेकर सहयोग के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में समय पर और पर्याप्त समर्थन की कमी के कारण हमारी टीम में निराशा पैदा हुई और नियमित कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से पूरा करने की हमें मुश्किल हुई है।