ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वीडियोग्राफी का रास्ता साफ हो गया है। कोर्ट के आदेश हैं कि ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने को खुलवाकर उसका सर्वे किया जाए। मस्जिद के तहखाने को लेकर दावा किया जा रहा है कि वहां, “मां श्रृंगार गौरी” का मंदिर है। इस केस में हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर ने भी इस बात का दावा किया है। उन्होंने कहा कि वहां मंदिर था, है और रहेगा। उन्होंने कहा कि वे ये नहीं मानते कि वहां कोई मस्जिद है, वह सिर्फ एक ढांचा है और ज्ञानवापी मस्जिद के पूरे परिसर को वे मंदिर ही मानते हैं।
बता दें कि पिछली बार जब सर्वे टीम वहां गई तो मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ज्ञानवापी मस्जिद में प्रवेश को लेकर काफी हंगामा किया था। इस पर सिविल जज ने अपने ऑर्डर में सर्वे के लिए नियुक्त कोर्ट कमीश्नर के डर की बात कही है। उन्होंने बताया कि कोर्ट कमीश्नर ने अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की है। वहीं, वकील हरिशंकर जैन ने भी हंगामे को लेकर नाराजगी जाहिर की है।
इस मुद्दे को लेकर एक टीवी डिबेट में उन्होंने कहा कि पिछली बार जो हुआ वो काफी कटु अनुभव था। उन्होंने कहा, “कट्टरवाद के आगे कानून का राज फीका है। लोग संविधान और कानून की दुहाई देते हैं, लेकिन वहां अजीब घटना हुई। कोर्ट कमीश्नर को अंदर जाना था और नमाज के बाद दो या तीन से ज्यादा लोग अंदर रह नहीं सकते हैं। डेढ़ बजे नमाज खत्म हो गई थी फिर भी साढ़े तीन बजे लोग दरवाजे पर आकर खड़े हो गए और अंदर नहीं जाने दिया। ये पूरा मकौल बनाया गया।”
उन्होंने दावा किया कि वह पूरा परिसर एक मंदिर है, वहां मंदिर के चिन्ह हैं और तहखाना भी है। उन्होंने बताया, “जब मैंने केस तैयार किया तो मैंने उसमें हर चीज लिखी कि कैसे वहां पूजा होती थी? भगवान शिव का वो स्थान कैसे है? स्कंद पुराण और शिव पुराण से संस्कृत के मंत्र मैंने कोट किए। ये साबित है कि वहां के कण-कण में भगवान शिव का हैं।”
उन्होंने 1936 के एक केस का जिक्र करते हुए कहा कि उस वक्त गवाहियां दी गईं और 16 गवाहों ने बताया कि वहां पूजा होती थी। उन गवाहियों के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील तो की गई, लेकिन किसी ने उसको चुनौती नहीं दी।
उन्होंने आगे बताया, “1996 में एक कमीशन फाइल हुआ था, बाद में वो खारिज हो गया था। उसमें तहखाना खोलने की इजाजत नहीं मिली और सरकार ने कहा ताला बंद है हम खोल नहीं सकते। वो राज आज तक दबा है। ये सच्चाई जनता के सामने आनी चाहिए। इस गुलामी की दास्तां को देखा है, जहां-जहां मंदिर थे उन्हें तोड़कर मस्जिद बना दी गई। ये देश के सम्मान और संस्कृति के खिलाफ है।”