Aditya L1 Mission Update: भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल-1 फिलहाल पृथ्वी के ऑर्बिट में घूम रहा है। उसके सभी उपकरण अच्छे से काम कर रहे हैं। इसरो (ISRO) ने आदित्य एल-1 का एक वीडियो जारी किया है। आदित्य एल 1 ने ना सिर्फ सेल्फी ली बल्कि अंतरिक्ष से पृथ्वी और चांद का खूबसूरत वीडियो भी भेजा है। वीडियो में यह नजारा काफी अद्भुत नजर आ रहा है।
बता दें कि आदित्य एल-1 को 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से लॉन्च किया था। अभी तक आदित्य एल-1 ने दो अर्थ बाउंड मैन्यूवर्स सफलतापूर्वक पार कर लिए हैं। आदित्य एल-1 चार महीने का सफर तय कर सूरज और पृथ्वी के बीच स्थित एल-1 प्वाइंट तक पहुंचेगा। इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफ्रॉम X पर पोस्ट कर बताया है कि आदित्य एल-1 में लगे कैमरे ने सेल्फी ली है। आदित्य एल-1 में लगे दो पेलोड्स VELC और SUIT की तस्वीर भी साफ दिखाई दे रही है। वीडियो में आदित्य एल-1 के कैमरे ने पृथ्वी और चांद का भी वीडियो बनाया है। यह वीडियो 4 सितंबर का है।
क्या है सूर्ययान मिशन?
इसरो अपने पहले सूर्य मिशन आदित्य एल-1 के तहत सूरज से निकलने वाली किरणों का अध्ययन करेगा। आदित्य एल-1 को सूरज और पृथ्वी के बीच में लैरेंज प्वाइंट-1 पर रखा जाएगा। आदित्य एल-1 में लगा 7 पेलोड्स सूरज से निकलने वाली विभिन्न किरणों का अध्ययन करेगा। आदित्य एल-1 सूरज के कोरोना से निकलने वाली गर्मी और गर्म हवाओं की स्टडी भी करेगा। इसरो इस मिशन की मदद से सौर वायुमंडल को समझने का प्रयास कर रहा हैं। आदित्य एल-1 सौर हवाओं के विभाजन और तापमान का अध्ययन करेगा। आदित्य एल-1 सौर तूफानों के आने की वजह, सौर लहरों और उनका धरती के वायुमंडल पर क्या असर होता है इसका भी पता लगाएगा।
कितना दूर है एल-1 प्वाइंट?
धरती और सूरज के बीच में कुल पांच ऐसे प्वाइंट चिन्हित किए गए हैं जहां स्पेस क्राफ्ट को रखकर सूरज से निकलने वाली किरणों का अध्ययन किया जाता है। इस एल-1 प्वाइंट को लैरेंज बिंदु भी कहते हैं। बता दें कि सूरज से सबसे नजदीक एल-1 प्वाइंट है जहां सूर्ययान जा रहा है। धरती से एल-1 प्वाइंट की दूरी तकरीबन 15 लाख किलोमीटर है। वहीं सूरज से एल-1 की दूरी करीब 14 करोड़ 85 लाख किमी है। लैरेंज प्वाइंट 1 सूरज और धरती की कुल दूरी का मात्र एक फीसदी ही है।
आदित्य एल-1 कितने दिन में पहुंचेगा?
इसरो ने बताया कि आदित्य-एल 1 मिशन तकरीबन 120 दिन में एल-1 प्वाइंट पर पहुंचेगा। आदित्य एल-1 मिशन को PSLV XL रॉकेट लेकर उड़ान भरी थी। आदित्य एल-1 करीब 5 साल तक सूरज से निकलने वाली किरणों का अध्ययन करेगा। अगर आदित्य एल-1 के सभी उपकरणों ने ठीक से काम किया तो यह मिशन 10 से 15 साल तक सूर्य का अध्ययन करने में सक्षम है। आदित्य-एल1 मिशन को बनाने में कुल 378 करोड़ रुपये की लागत आई है।