Aditya L1 Solar Mission: चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद भारत अब सूरज की ओर कदम बढा दिए हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (ISRO) ने आज अपना पहला सोलर मिशन लॉन्च किया है। श्रीहरिकोटा के लॉन्चिंग पैड से यह मिशन शनिवार सुबह 11: 50 बजे लॉन्च किया गया। इस मिशन को ISRO सबसे भरोसेमंद PSLV रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया। आदित्य L-1 मिशन की लॉन्चिंग से पहले ISRO चीफ एस सोमनाथ के साथ वैज्ञानिकों की पूरी टीम तिरुपति पहुंची थी। ISRO के वैज्ञानिकों ने तिरूपति बालाजी मंदिर में मिशन की सफलता के लिए प्रार्थना की।
आदित्य-L1 किस काम के लिए भेजा जा रहा?
आदित्य-L1 के भेजने का सबसे प्रमुख कारण है- सौर तूफानों के आने की वजह, सौर लहरों और उनका धरती के वायुमंडल पर क्या असर होता है। आदित्य सूरज से निकलने वाली गर्मी और गर्म हवाओं की स्टडी करेगा। सौर हवाओं के विभाजन और तापमान की स्टडी करेगा। सौर वायुमंडल को समझने का प्रयास करेगा। सूरज से ही हमारे सौर मंडल को ऊर्जा मिलती है। इसकी उम्र करीब 450 करोड़ साल मानी जाती है। बिना सौर ऊर्जा के धरती पर जीवन संभव नहीं है। सूरज की ग्रैविटी की वजह से ही इस सौर मंडल में सभी ग्रह टिके हैं। नहीं तो वो कब का सुदूर गहरे अंतरिक्ष में तैर रहे होते। सूरज का केंद्र यानी कोर में न्यूक्लियर फ्यूजन होता है, इसलिए सूरज चारों तरफ आग उगलता हुआ दिखता है। सूरज की स्टडी इसलिए काफी जरूरी है जिससे सौर मंडल के अन्य ग्रहों के बारे में अधिक जानकारी जुटाई जा सके।
श्रीहरिकोटा के लॉन्चिंग पैड से आज 11: 50 बजे आदित्य एल-1 अंतरिक्ष में उड़ान भरी।
सूर्य के अध्ययन के लिए लॉन्च किया गया आदित्य एल1 को धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर संबंधित बिंदु ‘एल1’ तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे।
Aditya L1 Launch Live: बसे बड़ा उपकरण प्रतिदिन भेजेगा 1,440 तस्वीरें‘आदित्य-एल1’ का प्राथमिक उपकरण ‘विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ’ (वीईएलसी) इच्छित कक्षा तक पहुंचने पर विश्लेषण के लिए जमीनी केंद्र को प्रतिदिन 1,440 तस्वीरें भेजेगा। वीईएलसी उपकरण ‘आदित्य-एल1’ का "सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण" पेलोड है, जिसे बेंगलुरु के पास होसकोटे में भारतीय ताराभौतिकी संस्थान (आईआईए) के क्रेस्ट (विज्ञान प्रौद्योगिकी अनुसंधान और शिक्षा केंद्र) परिसर में इसरो के सहयोग से एकीकृत किया गया था। इसका परीक्षण और क्रम निश्चित करने का कार्य भी इसी परिसर में किया गया।
ISRO ने आदित्य एल1 लॉन्च कर दिया है। आदित्य एल1 की लॉन्चिंग सफल रही है।
आदित्य एल1 के लॉन्च में कुछ ही पल बाकी है।
आदित्य एल1’ के 125 दिनों में लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय कर लैग्रेंजियन बिंदु ‘एल1’ के आसपास हेलो कक्षा में स्थापित होने की उम्मीद है, जिसे सूर्य के सबसे करीब माना जाता है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं तथा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है। ‘आदित्य एल1’ सात पेलोड ले जाएगा, जिनमें से चार सूर्य के प्रकाश का निरीक्षण करेंगे।
भारत के पहले सूर्य मिशन के तहत ‘आदित्य एल1’ यान को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से शनिवार को प्रक्षेपित करने के लिए तैयार है। ‘आदित्य एल1’ को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘एल1’ (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिजाइन किया गया है।
आदित्य एल1 लॉन्च को देखने के लिए श्रीहरिकोटा बहुत बड़ी संख्या में लोग बहुत चुके हैं।
इसरो के आदित्य एल-1 मिशन के लॉन्च को देखने के लिए स्कूली छात्र श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पहुंचे।
आदित्य एल1 मिशन पर जवाहरलाल नेहरू तारामंडल में प्रोग्रामिंग मैनेजर प्रेरणा चंद्रा ने कहा, 'अन्य देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां पहले ही सूर्य पर अवलोकन कर चुकी हैं। आदित्य एल1 के साथ हमारे पास सूर्य के आंकड़े भी मोजूद होंगे जिससे हमें अंतरिक्ष के मौसम और आगामी अंतरिक्ष अभियानों को समझने में बहुत मदद मिलेगी।'
भारत सूर्य का अध्ययन करने के लिए पहला मिशन भेज रहा है। दुनियाभर में बीते छह दशक में सूर्य से जुड़े कुल 22 मिशन भेजे जा चुके हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अकेले 14 मिशन भेजे हैं। नासा ने 2001 में जेनेसिस मिशन लॉन्च किया था। इसका मकसद सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए सौर हवाओं का नमूना लेना था।
सूर्य मिशन के फायदे
1.सौर्य गतिविधियों और उससे जुड़े मौसम पर निगरानी हो सकेगी।
2.सूरज की तरफ से होने वाले मौसम में बदलाव पर नजर संभव।
3.सूर्य के तापमान का उपग्रहों पर क्या असर पड़ता है पता चलेगा।
4.सूर्य की गर्मी से उपग्रहों व उपकरणों का जीवन चक्र पता चलेगा।
सूर्य मिशन की चुनौतियां
1.सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी 15 करोड़ किलोमीटर से अधिक है।
2.अंतरिक्ष में इस उपग्रह के टकराने की भी संभावना सबसे अधिक।
3.सूर्य के तापमान और भीषण गर्मी से मिशन को खतरा ज्यादा है।
4.उपग्रह में लगे उपकरण कितना सटीक काम करते हैं ये भी अहम।
श्रीहरिकोटा से इसरो के आदित्य एल1 मिशन के सफल लॉन्च के लिए वाराणसी में हवन किया गया।
इसरो के आदित्य एल1 मिशन के सफल लॉन्च के लिए दून योग पीठ के केंद्रों पर आध्यात्मिक गुरु आचार्य बिपिन जोशी की मौजूदगी में सूर्य नमस्कार और विशेष पूजा की गई।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा आज श्रीहरिकोटा से आदित्य-एल1 मिशन लॉन्च किया जाएगा। वीडियो आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से है।
आज सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर देश का पहला सोलर मिशन आदित्य L-1 श्रीहरिकोटा से लॉन्च होगा। इसकी लॉन्चिंग का काउंटडाउन शुक्रवार से चल रहा है। इस मिशन को इसरो के सबसे भरोसेमंद PSLV रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा।
आदित्य L1 मिशन के लॉन्च के लिए मौसम अनुकूल है। श्रीहरिकोटा में आसमान साफ है और तापमान 34.1 डिग्री है जो कि सामान्य है। वहीं हवा की रफ्तार 0.3 मीटर प्रति सेकंड है जो कि बिल्कुल सामान्य है।
श्रीहरिकोटा के लॉन्चिंग पैड से आज 11: 50 बजे आदित्य एल-1 ने अंतरिक्ष में उड़ान भरी। इस मिशन को ISRO सबसे भरोसेमंद PSLV रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया।