Adani Hindenburg Controversy: हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट के आधार पर अडानी ग्रुप के शेयर्स को लेकर पिछले साल एक बड़ा झटका लगा था। कुछ वैसे ही बवाल के संकेत एक बार फिर मिलने लगे हैं, क्योंकि हिंडनबर्ग ने एक बार फिर अडानी ग्रुप से ही जुड़े अपनी पुरानी रिपोर्ट के मामले में अब सेबी की चीफ और उनके पति पर गंभीर आरोप लगाए हैं। हिंडनबर्ग का कहना है कि सेबी चीफ माधवी बुच और उनके पति की अडानी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल किए गए ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी, जिसके चलते उसकी रिपोर्ट पर सेबी ने सबकुछ जानते हुए भी कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि हिंडनबर्ग को ही नोटिस भेज दिया।
दरअसल, शनिवार को हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अपनी पुरानी रिपोर्ट को लेकर सेबी चीफ पर आरोप लगाए हैं। हिंडनबर्ग ने कहा कि अडानी मामले में उनकी रिपोर्ट आए 18 महीने हो गए हैं। हमारी रिपोर्ट ऑफशोर में मुख्य रुप से मॉरीशस बेस्ड शेल कंपनियों के एक बड़े नेक्सेस का खुलासा किया गया था। हिंडनबर्ग का आरोप हैं कि इन कंपनियों का इस्तेमाल अरबों डॉलर के अनडिक्लेयर्ड ट्रांजैक्शन, अघोषित निवेश और स्टॉक हेरफेर करने के लिए होता था।
Hindenburg ने SEBI पर लगाया कार्रवाई न करने का आरोप
बता दें कि हिंडनबर्ग की पुरानी रिपोर्ट पर काफी बवाल हुआ था। उस रिपोर्ट को लेकर ही अब कंपनी ने कहा है कि उनकी रिपोर्ट को लेकर 40 से ज्यादा मीडिया संस्थानों ने वेरिफिकेशन किया और कई अहम सबूत भी पेश किए। इन सबके बावजूद सेबी ने अडानी समूह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है, बल्कि सेबी ने उल्टा उन्हें ही 27 जून को एक कारण बताओ नोटिस थमा दिया है।
हिंडनबर्ग ने कहा कि सेबी ने अडानी ग्रुप पर 106 पेज की हमारी रिपोर्ट पर, किसी भी तरह की तथ्यात्मक गलती का आरोप नहीं लगाया, बस मामले को यह कहकर टाल दिया कि रिपोर्ट में जो भी कुछ सबूत दिए गए हैं, वो जांच और कार्रवाई के लिए काफी नहीं हैं।
खास बात यह है कि हिंडनबर्ग ने अपने नए दावे में कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के रिकॉर्ड की एक कॉपी भी शेयर की है। इस रिकॉर्ड में बताया गया है कि सेबी चेयरपर्सन के पास अगोडा एडवाइजरी नाम की एक कंसल्टेंसी फर्म के 99 प्रतिशत शेयर्स हैं, जबकि उस कंपनी के डायरेक्टर उनके पति हैं। अब इस रिपोर्ट में दावा किया है कि साल 2022 में इस कंपनी ने कंसल्टेंसी के 2,61,000 डॉलर का राजस्व प्राप्त किया था।
सेबी प्रमुख और उनके पति पर आरोप
उस कंपनी से मामले को लिंक करते हुए हिंडेनबर्ग ने कहा कि अगर सेबी वास्तव में ऑफशोर फंड धारकों को ढूंढना चाहता था तो शायद सेबी चेयरपर्सन को खुद इस मामले में जांच की शुरुआत करनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया था। बताते चलें कि पिछले साल 24 जनवरी को अडानी ग्रुप पर, हिंडनबर्ग ने शेयर में हेर फेर और ऑडिटिंग फ्रॉड का आरोप लगाया था।
हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए यह तक कह दिया था कि अडानी ग्रुप से जुड़ा यह मामला कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला है। यह सबकुछ तब हुआ था, जब कुछ दिनों बाद ही अडानी ग्रुप की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के 20,000 करोडड रुपए के शेयर रीटेल बिक्री के लिए पब्लिक होने वाले थे। अह बात यह है कि जैसे ही यह रिपोर्ट आई थी, वैसे ही अडानी ग्रुप के लगभग सभी कंपनियों के स्टॉक्स धड़ाम से गिरे थे।
इसका नतीजा यह भी हुआ था कि दुनिया के टॉप-3 सबसे अमीर बिजनेसमैन की लिस्ट शामिल होने वाले अडानी ग्रुप के प्रमुख गौतम अडानी, इस रिपोर्ट के आने के चलते टॉप-40 की लिस्ट से भी बाहर हो गए थे, और उन्हें आर्थिक आधार पर बड़ी चपत लगी थी। हालांकि, बाद में सेबी ने उन्हें इस मामले में क्लीनचिट दी थी। वहीं अब अडानी ग्रुप पर कार्रवाई न करने को लेकर हिंडनबर्ग ने सेबी चीफ को ही निशाने पर लिया है।