Shyna Kalra

देश में यह आम धारणा है कि टीचिंग के पेशे में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक है। हालांकि, हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। भले ही स्कूल और कॉलेज लेवल की पात्रता परीक्षा जैसे टीईटी और यूजीसी नेट में आवेदन करने वालों में महिलाएं अधिक हैं।

देश में पुरुष टीचर्स के मुकाबले महिला टीचर्स की संख्या करीब 2 लाख कम है। यह बात हायर एजुकेशन रिपोर्ट 2017-18 में सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार देश में पुरुषों के मुकाबले महिला टीचर्स की संख्या 2,05,339 कम है। रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में कुल 12,84,755 टीचर्स हैं।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पद के क्रमानुसार जेंडर गैप का यह आंकड़ा और अधिक बढ़ता जाता है। हालांकि, कॉन्ट्रेक्ट आधारित जॉब यह अंतर बहुत कम है। एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर समेत उच्च पदों पर पुरुषों की संख्या अधिक है। आंकड़ों पर नजर डालें तो यह सामने आता है कि बात जब ट्यूशन आधारित जॉब की हो तो यहां महिलाओं की संख्या पुरुषों की तुलना में दोगुनी है।

शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की बात करें तो यहां महिलाओं का प्रदर्शन बहुत खराब है। महिलाओं के इस पेशे में कम होने का यह भी एक कारण है। सहायक प्रोफेसर की नौकरी हासिल करने के लिए राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) क्वालिफाई करना आवश्यक है। आवेदकों में महिलाओं की संख्या अधिक होने के बावजूद वे पुरुषों की तुलना में इस परीक्षा को कम ही पास कर पाती हैं।

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की तरफ से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार जून 2019 में नेट परीक्षा में करीब एक लाख (93419) महिलाएं शामिल हुईं। यह संख्या पुरुषों की तुलना में अधिक थी। इसके बावजूद महिलाओं की तुलना में 3975 अधिक पुरुषों ने इस परीक्षा में क्वालिफाई किया। दिसंबर 2018 में आवेदकों में महिलाओं की संख्या अधिक होने के बावजूद 637 अधिक पुरुषों ने क्वालिफाई किया।

2005 में एजुशाइन एडवाइजरी ग्रुप की लैंगिक असामनता सूचकांक के अनुसार भारतीय शैक्षिक संस्थानों के प्रमुख के रूप में महिलाओं की हिस्सेदारी 6.67 फीसदी (810 में 54 संस्थान) थी। साल 2018 में यह घटकर 6.25 फीसदी (1008 में 63 संस्थान) रह गई। यूजीसी के पूर्व सदस्य एमएम अंसारी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि भारतीय शैक्षिक संस्थानों में भर्ती प्रक्रिया के साथ ही प्रोमोशन के दौरान अप्रत्यक्ष रूप से भेदभाव होता है। देशभर में विश्वविद्यालयों में 30 से 40 फीसदी सीटें रिक्त हैं लेकिन उन पर भर्तियां नहीं होती हैं। यहां तक कि उसके लिए योग्य उम्मीदवार भी मौजूद हैं।

राज्यों की बात करें तो बिहार और झारखंड में स्थिति सबसे खराब है। बिहार में जहां 20.93 फीसदी महिला टीचर्स हैं वहीं झारखंड में महिला शिक्षकों की हिस्सेदारी 29.87 फीसदी है। महाराष्ट्र में सबसे अधिक पुरुष टीचर हैं। यहां महिलाओं की हिस्सेदारी 39.76 फीसदी हैं।