‘लैंगिक समानता को गैर इस्लामी बताने और महिलाएं कभी भी पुरुषों की बराबरी नहीं कर सकती हैं क्योंकि वे केवल बच्चा पैदा करने के लिए होती हैं’ वाले बयान पर उपजे विवाद पर सुन्नी नेता कनथापुरम एपी अबूबकर मुस्लीयर ने कहा है कि उनके बयान को तोड़ा-मरोड़ा गया और गलत मतलब निकाला गया।

उन्होंने एक बयान में कहा कि चरम नारीवाद और स्त्री जाति से द्वेष के वातावरण में इस्लाम महिला सुरक्षा के साथ खड़ा है। निष्पक्ष तरीके से शिक्षा और सामाजिक उत्थान के जरिए उन्हें सशक्त किया जाए। मुस्लीयर ने कहा कि उनका बयान महिलाओं को ऐसी स्थिति में विशेष समर्थन देने और देखभाल करने के लिए था जहां महिलाओं को सामाजिक परिवेश से बाहर रखा जाता है। महिलाओं को सार्वजनिक व पेशेवर जीवन में विशेष देखभाल और समर्थन की जरूरत है। न्यायपालिका ने इसे कई बार दोहराया है।

ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलेमा के प्रमुख मुस्लीयर ने कहा कि हम भारत के संविधान के तहत रहते हैं, उसका पालन करते हैं जो जाति, धर्म या लिंग में फर्क किए बिना सभी को समान न्याय देता है। उन्होंने कहा कि जब वह पारिवारिक जीवन में पुरुष और महिला के कर्तव्यों के बारे में बात कर रहे थे, तब उनका इशारा मातृत्व के गौरव की तरफ था। उन्होंने सदा इस बात को दोहराया कि केवल महिला ही बच्चे को जन्म दे सकती हैं। मैं इस बयान पर कायम हूं कि बच्चे को जन्म देना और उसकी परवरिश करना सबसे पवित्र कार्य है। इस महिला समर्थक बयान का जान-बूझकर गलत मतलब निकाला गया। मेरे बयान को यह कहकर पेश किया गया कि महिलाएं केवल बच्चे पैदा करने के लिए होती हैं।

अबूबकर मुस्लीयर (76) ने 29 नवंबर को यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि लैंगिक समानता की अवधारणा गैर इस्लामिक है और महिलाएं कभी पुरुषों की बराबरी नहीं कर सकतीं क्योंकि वे केवल बच्चे पैदा करने के लिए होती हैं। उन्होंने कहा था कि महिलाओं में मानसिक मजबूती और दुनिया को नियंत्रित करने की शक्ति नहीं होती है जो पुरुषों के पास होती है। उन्होंने यह भी कहा था कि लैंगिक समानता इस्लाम, मानवता के खिलाफ है और यह बौद्धिक रूप से गलत है।

इस्लामी विद्वान ने चुनावों के दौरान महिलाओं के आरक्षण के खिलाफ टिप्पणी करके भी विवाद खड़ा कर दिया था। उन्होंने कहा था कि नगर निकाय में महिलाओं के लिए 50 फीसद आरक्षण बहुत अधिक है। लेकिन बाद में वह इससे पलट गए थे।
उनकी टिप्पणियों पर पार्टियों और कार्यकर्ताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए बयान वापस लेने और माफी मांगने की मांग की थी। विपक्षी माकपा और सत्तारूढ़ कांग्रेस ने इस्लामी विद्वान की महिला विरोधी टिप्पणियों को लेकर उनकी आलोचना की थी।