वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सबरीमाला केस की सुप्रीम कोर्ट में पैरवी के बदले त्रावणकोर देवास्वम बोर्ड को 62 लाख रुपए का बिल भेजा है। बता दें कि त्रावणकोर देवास्वम बोर्ड ही सबरीमाला मंदिर में सभी व्यवस्थाओं का संचालन करता है। खबर के अनुसार, बोर्ड ने अभिषेक मनु सिंघवी से बिल में छूट देने की मांग की है। बोर्ड का कहना है कि सबरीमाला मंदिर पर आए फैसले और उसके बाद की घटनाओं के चलते उनका राजस्व बुरी तरह प्रभावित हुआ है। ऐसे में इतनी बड़ी राशि का भुगतान करने में वह सक्षम नहीं हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार, त्रावणकोर देवास्वम बोर्ड के अध्यक्ष ए पद्मकुमार का कहना है कि बोर्ड के लिए बिल का भुगतान करना संभव नहीं है। पद्मकुमार के अनुसार, ‘हमने यह केस सिंघवी को नहीं सौंपा था। सरकार ने हमारी राय लिए बिना ही उन्हें नियुक्त कर दिया।’ बोर्ड अध्यक्ष के अनुसार, ‘बिल हमें भेजा गया था और फिलहाल हम इस मुद्दे पर सरकार से बातचीत कर रहे हैं। उसके बाद ही इस पर कोई फैसला होगा।’ सूत्रों के अनुसार, बोर्ड गोपाल सुब्रमण्यन और मोहन परासरन को वकील नियुक्त करना चाहता था।
क्या है सबरीमाला विवादः केरल की पठनामथिट्टा जिले की पहाड़ियों के बीच भगवान अयप्पा का मंदिर है, जिसे सबरीमाला मंदिर के नाम से जाना जाता है। 800 साल पुराने इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी थी। 10 से 50 साल की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर पाबंदी थी। लेकिन 28 सितंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर जारी पाबंदी को हटा दिया था।
हालांकि मंदिर का प्रबंधन करने वाले बोर्ड त्रावणकोर देवास्वम बोर्ड ने कोर्ट के फैसले के बावजूद मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं दी। जिसके चलते महिलाओं के प्रवेश को लेकर मंदिर के आसपास और केरल के कई हिस्सों में हिंसा और विरोध प्रदर्शन की घटनाएं भी हुई। इस दौरान कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गई। हालांकि कोर्ट ने इस मामले पर विचार करने से इंकार कर दिया।