भारत ने रविवार को पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को तलब किया। जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी जवानों द्वारा बिना उकसावे के संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं को अंजाम दिए जाने पर उनसे अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया। जिसमें दो दिन में छह लोगों की मौत हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक सचिव-पूर्व अनिल वाधवा ने बासित को विदेश मंत्रालय में तलब किया और नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी जवानों द्वारा बिना उकसावे के की गई गोलीबारी पर भारत की ओर से कड़ा विरोध दर्ज कराया।
साउथ ब्लॉक में बैठक के बाद बाहर आए बासित ने हालांकि उलटकर भारत की ओर से ही जुलाई और अगस्त महीनों में एलओसी पर व अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 70 बार संघर्ष विराम उल्लंघन का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह पता लगाने के लिए एक प्रभावी प्रणाली की जरूरत है कि संघर्ष विराम उल्लंघन में कौन लोग शामिल हैं।
करीब 15 मिनट तक विदेश मंत्रालय में रहे बासित ने संवाददाताओं से कहा- हम संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं को लेकर चिंतित हैं। जुलाई और अगस्त के महीने में एलओसी और कामकाजी सीमा के इस ओर से करीब 70 बार संघर्ष विराम उल्लंघन किया गया। हम जाहिर तौर पर इस बारे में बहुत चिंतित हैं। हमारी ओर से अपेक्षा है कि एक अधिक प्रभावी प्रणाली हो ताकि इन बिना उकसावे की गोलीबारी की घटनाओं में शामिल लोगों का पता चल सके।
भारत की अनेक चौकियों और असैन्य क्षेत्रों पर शनिवार से पाकिस्तानी जवानों द्वारा भारी गोलीबारी और गोलाबारी में छह लोग मारे जा चुके हैं। स्वतंत्रता दिवस के दिन भारी गोलीबारी और मोर्टार बम दागे जाने से एक सरपंच समेत पांच नागरिक मारे गए व पांच अन्य घायल हो गए। पाकिस्तान की ओर से किए गए भारी मोर्टार के हमले में रविवार को एक महिला की मृत्यु हो गई। पाकिस्तान द्वारा लगातार संघर्ष विराम उल्लंघन का रविवार को आठवां दिन है।
दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) के बीच होने वाली बातचीत से पहले पंजाब और जम्मू कश्मीर में आतंकवादी हमलों और संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं के बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है। पिछले दिनों रिश्तों में तल्खी उस समय और बढ़ गई जब पाकिस्तान ने राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के सम्मेलन में जम्मू कश्मीर के विधानसभा अध्यक्ष को बुलाने से इनकार कर दिया। भारत ने पाकिस्तान के इस रुख के खिलाफ 30 सितंबर से आठ अक्तूबर को इस्लामाबाद में होने वाली बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके पाकिस्तानी समकक्ष अधिकारी सरताज अजीज की 23 अगस्त को पहली बार यहां आतंकवाद से जुड़े मुद्दों पर बातचीत होगी। इस बारे में रूस के ऊफा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ की मुलाकात में फैसला हुआ था। वार्ता के दौरान उम्मीद की जा रही है कि भारत पाकिस्तानी सरजमीं से होने वाले आतंकवाद के मजबूत सबूत देगा। पंजाब के गुरदासपुर और जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में हमलों के दौरान यह और भी उजागर हुआ है।
पाकिस्तानी नागरिक और लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य मोहम्मद नावेद याकूब को पकड़ने के साथ भारत का मामला मजबूत हो गया। नावेद ने पिछले हफ्ते उधमपुर के पास बीएसएफ की एक बस पर हमला किया था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने शनिवार को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुबारकबाद दी और उम्मीद जताई कि सतत और व्यापक बातचीत के जरिए द्विपक्षीय मुद्दों को सुलझाया जाएगा।
एनएसए स्तर की बातचीत से पहले पाकिस्तान के उच्चायुक्त बासित ने शुक्रवार को कहा था कि उनका देश कश्मीरियों के जायज स्वतंत्रता संघर्ष को नहीं छोड़ेगा। भारत ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि जम्मू कश्मीर में केवल पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष है। एनएसए स्तर की वार्ता में यह विषय होगा।