गुजरात की राजनीति में आम आदमी पार्टी ने काफी तेजी से अपना विस्तार किया था। पार्टी ने इसी राज्य के दम पर खुद के लिए राष्ट्ट्रीय पार्टी का तमगा भी लिया। पिछले विधानसभा चुनाव में भी सभी को प्रभावित करते हुए पार्टी ने पांच सीटें जीती थीं और उसका वोट शेयर भी 12 प्रतिशत के करीब रहा था। लेकिन वहीं आम आदमी पार्टी अब गुजरात में बिखर गई है। आलम ये चल रहा है कि उसके नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं, अपने पुराने काम की तरफ लौटते दिख रहे हैं।
वैसे गुजरात में आम आदमी पार्टी ने जोरदार दस्तक दी थी। साल 2021 में सूरत नगर निगम चुनाव में उसने 27 सीटें जीतकर कमाल कर दिया था। बड़ी बात ये रही कि तब आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को पछाड़ते हुए मुख्य विपक्षी दल की जगह ले ली थी। उसके बाद विधानभा चुनाव में भी वो ट्रेंड कायम रहा और पार्टी ने 5 सीटें जीत लीं। लेकिन अब जमीन पर केजरीवाल की पार्टी के लिए स्थिति बदल गई है।
चैतर वसवा जो लोकसभा चुनाव में भरूच से चुनाव लड़ने के सपने देख रहे हैं, इस समय पुलिस कस्टडी में चल रहे हैं। अधिकारियों के साथ बदसलूकी करने की वजह से उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ है। उनकी पत्नी और एक साथी भी उसी मामले में फंसे हुए हैं। इसी तरह आप संयोजक अरविंद केजरीवाल और राज्यसभा सांसद संजय सिंह पर मानहानी का एक केस चल रहा है। दोनों ने चुनाव के दौरान पीएम मोदी की डिग्री को लेकर कई सवाल उठाए थे, उसी मामले में केस चल रहा है।
इसके ऊपर ईसूदन गढ़वी जो पहले मुख्यमंत्री बनने के सपने देख रहे थे, वे फिर अपने पुराने काम पर लौट चुके हैं, इस समय वे टीवी पर एंकरिंग कर रहे हैं। इसी तरह गोपाल इटालिया फिर अपनी वकालत में व्यस्त हो चुके हैं। हाल ही में इंद्रानिल राजगुरू ने भी नेशनल ज्वाइंट सेकरेट्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। वैसे इटालिया अभी भी मानकर चल रहे हैं कि पार्टी फिर गुजरात में वापसी करेगी। उनका कहना है कि ये सही बात है कि कई ने पार्टी छोड़ी है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आम आदमी पार्टी कमजोर हो गई। हमारी विचारधारा नई है, दूसरी पार्टियों जैसी नहीं है।
Aditi Raja के इनपुट के साथ