देश में विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट और कृषि क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रह गई है।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने शुक्रवार को वृद्धि दर संबंधी आंकड़े जारी किए थे जिनके अनुसार जुलाई से सितंबर के बीच दूसरी तिमाही के लिए जारी किए गए हैं। देश की मौजूदा अर्थव्यवस्था 6 साल के सबसे निचले स्तर पर है। नौकरीपेशा लोगों को नौकरी से निकाला जा रहा है। बैंकों पर एनपीए का बोझ लगातार बढ़ रहा है।

देश के आर्थिक हालातों पर आज तक न्यूज चैनल के लाइव डिबेट कार्यक्रम ‘दंगल’ में सीपीआई नेता अतुल अंजान और बीजेपी प्रवक्ता बेजयंत जय पांडा के बीच जमकर बहस हुई है। इस दौरान सीपीआई नेता ने अपने तर्कों से बीजेपी प्रवक्ता की बोलती बंद कर दी। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री आशा का चिराग लेकर घूम रही हैं तो घरों से धुआं क्यों निकल रहा है।

दरअसल डिबेट के दौरान एंकर रोहित सरदाना घटती नौकरियों के मुद्दे पर सवाल पूछते हैं। इस पर बीजेपी प्रवक्ता कहते हैं ‘नौकरियों का संकट हमारे लिए एक बहुत बड़ा चैलेंज हैं। दो दशक पहले चाइना ने डबल डिजीट ग्रोथ रेट रखकर अपने मिडिल इनकम स्टेटस को बढ़ाया लेकिन हम उस समय को मिस कर गए। यह वह समय था जब हमें डबल डिजिट ग्रोथ हो जाना चाहिए था। 6, 7 और 8 प्रतिशत पर उस दौरान नौकरियां पैदा नहीं हो सकीं। लेकिन हम अब जो कदम उठा रहे हैं उसका सकारात्मक असर जल्द देखने को मिलेगा।’

बेजयंत जय पांडा के इतना कहते ही अतुल अंजान उन्हें बीच में ही टोकते हुए कहते हैं ‘आपके पास डबल डिजिट इकॉनमी करने का पूरा समय था लेकिन आप कह रहे हैं कि आप मिस कर गए। आपके मिस करने के चक्कर में हजारों करोड़ों नौजवान हताश और बेरोजगार घुम रहे हैं। इस देश में हर साल एक लाख अस्सी हजार एमबीए, एक लाख साठ से अस्सी हजार बीटेक डिग्री वाले नौजवान पास हो रहे हैं। ये सभी 40-40 लाख रुपए अपने मां बाप का खर्च करके आ रहे हैं और इन्हें नौकरियां नहीं मिल रही।’

वह आगे कहते हैं ‘देश में हजारों कॉलेज बंद हो रहे हैं और बैंकों ने जो लोन दिया था वह उनको वापस नहीं मिल रहा है। और आप कहते हैं कि बैंकों के मर्जर से बहुत कुछ हुआ है। लोगों का क्या होगा इस बारे में सोचिए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी को तो कुछ पत ही नहीं है कि क्य हो रहा है। वो आशा का चिराग जलाकर के घुम रही हैं लेकिन लोगों के घरों में अंधेरा है। और अगर इतना चिराग जल रहा है पांडा जी तो रोशनी के साथ ये धुंआ क्यों हो रहा है।’