पूनम नेगी
गहन आस्था और प्रबल विश्वास के साथ सच्चे मन से की गई प्रार्थना कभी निष्फल नहीं होती, इसके परिणाम चमत्कारिक होते हैं। यह मान्यता अब कोई कपोल कल्पना नहीं है। दुनिया भर में हुए तमाम प्रयोगों ने प्रार्थना की वैज्ञानिकता को साबित कर दिखाया है।
जानना दिलचस्प हो कि न्यूयॉर्क के कोलम्बिया विश्वविद्यालय के ‘स्कूल आॅफ मेडिकल साइंसेज’ के वरिष्ठ चिकित्सकों डॉ. रोजेरियो तथा ए. लोवो ने कृत्रिम गर्भाधारण करने वाली तीन सौ से अधिक महिलाओं के स्वास्थ्य पर प्रार्थना के प्रभाव को जांचने के लिए एक अध्ययन-अन्वेषण किया था। इस सर्वेक्षण के दौरान उन्होंने पाया था कि जिन महिलाओं के लिए प्रार्थना की गई थी या जो महिलाएं स्वयं पूरे गर्भकाल के दौरान प्रार्थना करती रहीं।
उनका व उनके बच्चों का शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य दूसरी गर्भवती महिलाओं से काफी बेहतर पाया गया। इस अध्ययन के पश्चात डॉ. लोवो ने ‘जर्नल्स आॅफ रिप्रोडक्टिव हेल्थ’ में उपरोक्त अध्ययन का विवरण इस विशेष टिप्पणी के साथ अंकित किया यह एक अविश्वनीय लेकिन यथार्थ घटना है। प्रार्थना एक दिव्य औषधि और महान उपचार है। सभी को इसे अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
प्रार्थना के चमत्कारी प्रभावों को जांचने के लिए ऐसा ही एक अन्य प्रयोग डरहम के ड्यूक विश्वविद्यालय मेडिकल सेंटर में भी किया गया था। प्रार्थना से गंभीर रोगों से भी मुक्ति मिल सकती है; इस मान्यता को वैज्ञानिक आधार पर जांचने के लिए इस मेडिकल सेंटर के चिकित्सकों ने 150 रोगियों पर एक प्रयोग किया। ये सभी गंभीर हृदय रोग से पीड़ित थे तथा इन सभी की एन्जियोप्लास्टी होनी थी।
‘अमेरिकन हार्ट जर्नल्स’ में प्रार्थना के इस चमत्कारिक विवरण का विस्तार से उल्लेख हुआ है। बताते चलें कि प्रार्थना के प्रभाव को जानने के लिए चिकित्सकों ने इन 150 रोगियों को पांच समूहों में बांटा। इनमें से चार समूहों को सामान्य उपचार के साथ पूरक उपचार भी दिए गए।
पहले समूह को गाइडेड इमेजरी, दूसरे को स्ट्रेस रिलेक्सेशन, तीसरे को हीलिंग टच तथा चौथे समूह के लिए प्रार्थना की गई। जबकि पांचवें ग्रुप को सिर्फ सामान्य उपचार दिया गया; न कोई पूरक उपचार और न प्रार्थना।
इस अध्ययन में पाया गया कि जिस ग्रुप के लिए प्रार्थना की गई, उसके चिकित्सीय नतीजे अन्य चारो समूहों की अपेक्षा काफी अच्छे पाए गए। इस ग्रुप के रोगियों का आॅपरेशन पूरी तरह सफल रहा और वे जल्दी स्वस्थ भी हो गए।
ज्ञात हो कि प्रार्थना के ऐसे ही विभिन्न चमत्कारी प्रभावों से पश्चिमी जगत के चिकित्सक अन्वेषक और वैज्ञानिक न केवल अभिभूत हैं अपितु अब उनमें भी यह भाव गहराने लगा है कि प्रार्थना के चमत्कारिक परिणामों से जीवन की जटिल समस्याएं और रोग-शोक सहज ही दूर हो जाते हैं। गौरतलब हो कि हमारी देवभूमि की महान ऋषि मनीषा प्रार्थना की चमत्कारी प्रभावों को सदियों पूर्व ही स्थापित कर चुकी अवगत थी।

