ग्रेटर नोएडा में एक अपार्टमेंट की 10वीं मंजिल पर गांजे की खेती चल रही थी। पुलिस ने संदेह होने के बाद फ्लैट पर छापा मारा और पाया कि गमले में गांजा उगाया गया था और इसके प्रोसेस से जुड़ा सामान भी वहां मौजूद था। इंस्पेक्टर अनुज कुमार कहा, “यह बिल्कुल हॉलीवुड फिल्म जैसा दृश्य था। हमें लगा कि फूलों के गमले में कुछ (भांग) पौधे होंगे लेकिन हमने देखा कि तापमान को कंट्रोल करने वाली मशीन, गांजे की उगाई से जरूरी हर सामान वहां मौजूद था।” अब पुलिस इस मामले पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई की तैयारी कर रही है।
ग्रेटर नोएडा की पार्श्वनाथ पैनोरमा सोसाइटी के एक फ्लैट पर यह छापा मारा गया है। पुलिस को अपार्टमेंट के अंदर भांग के पौधों की अवैध खेती के बारे में सूचना मिली थी। पुलिस ने बताया कि फ्लैट में अकेले रहने वाले 46 वर्षीय राहुल चौधरी को अवैध रूप से गांजे की खेती करने और डार्क वेब के जरिए इसे बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस ने क्या कहा?
डीसीपी (ग्रेटर नोएडा) साद मिया खान ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि राहुल चौधरी एक ग्राहक को गांजा सौंपने जा रहा है। उन्होंने कहा, “हमें नहीं पता था कि वह अपने किराए के घर के अंदर गांजा की खेती कर रहा था।” इससे पहले दिन में पुलिस ने ग्रेटर नोएडा में कचनार एस्टेट के पास एक चौराहे पर जाल बिछाया। उन्होंने कहा, “सुबह करीब 10.30 बजे चौधरी आया और जैसे ही उसने एक ग्राहक को एक पैकेट सौंपा, हमने उसे गिरफ्तार कर लिया।”
डीसीपी ने आगे कहा कि पूछताछ के दौरान हमने उससे पूछा कि उसने गांजा कैसे खरीदा। तब उसने हमें बताया कि उसने इसे अपने फ्लैट के अंदर खुद उगाया है।
एक दर्जन पुलिसकर्मियों की टीम को तुरंत उसके किराए के घर पर छापा मारने के लिए भेजा गया। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “जब हमने दरवाजा खोला, तो हम व्यवस्था देखकर दंग रह गए। वहां 50 से 60 लाख रुपये की कीमत के करीब 80 गांजे के पौधे, गांजा, ओजी (एक प्रकार का खरपतवार), विभिन्न रसायन और उर्वरक, बीज और खेती में इस्तेमाल होने वाले उपकरण थे।” भांग के पौधों को उनकी किस्म के अनुसार जमाकर रखा गया था और तापामान को कंट्रोल में करने की पूरी व्यवस्था की गई थी।
डीसीपी खान ने बताया कि चौधरी के पास अंग्रेजी में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री है। उन्होंने बताया, “वह ग्रेटर नोएडा में एक भोजनालय चलाता था, जो कोविड महामारी के दौरान बंद हो गया। इसी दौरान उसने डार्क वेब पर खोजबीन शुरू की, फिल्में देखीं और गांजे की खेती पर किताबें पढ़ीं।”
राहुल ने पुलिस को बताया कि चार महीने पहले ही खेती शुरू की थी और यह यह पहली फसल थी। डीसीपी खान ने कहा, “उन्होंने (चौधरी ने) हमें बताया कि बीज एक विदेशी वेबसाइट सीड्समैन के माध्यम से ऑनलाइन मंगवाए गए थे। उन्होंने पेपाल के माध्यम से भुगतान किया।”