निर्भय कुमार पांडेय
ये युवा लाइन में लगकर खास तरह का लाइसेंस बनवा रहे हैं, ताकि सिख मान्यताओं के तहत वह कृपाण, छोटी तलवार और भाला अपने साथ रख सकें। युवाओं की सुविधा के लिए आंदोलन स्थल पर काउंटर भी लगा है, जहां पर मामूली फीस लेकर सिख युवाओं को लाइसेंस मुहैया करवाने का कार्य किया जा रहा है। बीते करीब डेढ़ महीने से किसान केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
लाइसेंस बनवाने वाले बलविंदर सिंह ने बताया कि सिख धर्म में पांच ककार अपनाने की मान्यता है। केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा। कृपाण रखने के लिए कुछ जगहों पर लाइसेंस की जरूरत होती है। यही कारण है सिख संगठन लाइसेंस जारी करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कई बार सुरक्षा कारणों से रोका जाता है, लेकिन जब लाइसेंस दिखाया जाता है तो फिर कोई रोक-टोक करने वाला नहीं होता।
छात्रों ने संभाला सफाई
का जिम्मा
कुछ सिख युवा ऐसे भी मिले, जो आंदोलन स्थल पर दूसरी तरह से अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हुए दिखाई दिए। जहां कुछ युवा और स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र लोगों को लंगर खिलाते हुए दिखे। वहीं, कुछ ऐसे छात्र भी नजर आए, जो सफाई कर अपनी जिम्मेदारी निभाते दिखे।
दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले दलजीत सिंह ने कहा कि फिलहाल कॉलेज जाना नहीं हो रहा था। वह अपने पांच अन्य दोस्तों के साथ सिंघू बॉर्डर पर जब सफाई करने की बात की तो वे भी उसके साथ चल दिए।

