15 जून को नवी मुंबई के एक पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई। इसमें शिकायत देने वाले ने बताया कि मोहम्मद शफी की मटन की दुकान के बाहर एक बकरी बंधी हुई थी और उस पर राम लिखा हुआ था। करीब दो महीने तक कानूनी पचड़े में पड़ने के बाद में शफी की दुकान को सील कर दिया गया और उसके वहां से करीब 22 बकरियां जब्त कर ली गईं। जिस शख्स ने शफी से बकरी खरीदी थी पुलिस ने उसका बयान भी लिया। उसी ने पुलिस को बताया कि बकरी पर राम नाम का मतलब रियाज अहमद मिथानी था।

सीबीडी बेलापुर पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर गिरधर गोरे ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि हमने मिथानी का बयान लिया है। उसने कहा कि उसने बकरी खरीदी थी और उसको दोबारा पहचाना जा सके इसी वजह से उस पर उसके नाम के पहले अक्षर लिखे थे। जिस बकरी के चक्कर में यह सब हो रहा है वह अभी फिलहाल इस समय एनएमएमसी के पशु चिकित्सा अधिकारी के पास है। ऐसा इस वजह से है क्योंकि अभी तक ना तो मिथानी और ना ही शफी ने अभी तक बकरी वापस मांगी है।

राम नाम के चक्कर में कंफ्यूजन

15 जून को वीएचपी के एक सदस्य की शिकायत के बाद सीबीडी बेलापुर पुलिस स्टेशन ने आईपीसी की धारा 295 ए और 34 के तहत केस दर्ज किया था। पुलिस ने उसी दिन उसकी दुकान को सील करने के अलावा शफी के कब्जे में जितनी भी बकरियां थी सभी को निगम ने अपने कब्जे में ले लिया। दुकानदार ने अपने वकील के जरिये कोर्ट को बताया कि उसका इरादा किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का नहीं था। उनके वकील फैजान कुरैशी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि हमने कोर्ट को बताया कि बकरी एक शख्स को बेची गई थी और उस पर केवल खरीदार की पहचान के लिए नाम के पहले अक्षर लिखे गए थे। उसका नाम रियाज अहमद मिथानी था। हमने यह तर्क दिया कि यह बकरीद के दौरान गलतफहमी से बचने के लिए एक आम प्रथा है।

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कोर्ट ने 22 बकरियां लौटाने का निर्देश

23 अगस्त को मजिस्ट्रेट कोर्ट ने शफी की मटन की दुकान को सील करने को अवैध बताया था और दुकान को दोबारा से मालिक को लौटाने के लिए कहा था। इतना ही नहीं कोर्ट ने 27 जून को शफी को 22 बकरियां लौटाने का निर्देश दिया था। 27 जून की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एक एनिमल राइट्स एक्टिवस्ट की याचिका पर भी सुनवाई की। शफी ने अपने वकील के जरिये कहा था कि उसे उसके जानवरों को वापस किया जाए। उसने कहा कि उसने जानवरों पर कोई भी अत्याचार नहीं किया।

कोर्ट ने कहा कि राम नाम का बकरा दुकान के बाहर एक खंभे से बंधा हुआ मिला था। कोर्ट ने यह भी कहा कि रिकॉर्ड में ऐसा कोई भी सबूत नहीं है जिससे यह पता चल सके कि जानवर के साथ किसी तरह का अत्याचार किया गया था। कोर्ट ने कहा कि एफआईआर, पंचनामा और दूसरे कोई भी सबूत यह नहीं दिखाते हैं कि बकरियों के साथ में किसी तरह का अत्याचार किया गया था।

बाकी बची हुई बकरियों के संबंध में जांच अधिकारी की तरफ से कोई भी पंचनामा तैयार नहीं किया गया। साथ ही ऐसा कोई आरोप नहीं है कि बाकी बकरियों के साथ में किसी तरह का कोई अत्याचार किया गया। कोर्ट ने कहा था कि कोई भी तीसरा पक्ष बकरियों की कस्टडी का दावा नहीं कर सकता है। कोर्ट ने पशु चिकित्सा अधिकारी को जानवरों की कस्टडी तुरंत उसे सौंपने का निर्देश दिया। आवेदन के लंबे टाइम तक पड़े रहने के दौरान 22 बकरियों में से एक की मौत हो गई थी, इसलिए कोर्ट ने उसकी मौत की जांच का आदेश दिया है। कोर्ट के आदेश के बाद शफी को बकरियां सौंप दी गईं। अधिकारी ने बताया कि शफी ने बकरी को अपने पास नहीं लिया और उसने उसे मिथानी को बेच दिया।