एक साल पहले 9 भारतीय मछुआरे पैसे कमाने की मंशा से विदेश गए थे, लेकिन वह युद्ध ग्रस्त यमन में फंस गए। अब शुक्रवार को ये मछुआरे वापस भारत लौट आए, लेकिन इन मछुआरों के वापस लौटने की कहानी काफी हैरान करने वाली है। बता दें कि जब ये मछुआरे भारतीय सीमा के नजदीक भारतीय कोस्ट गार्ड द्वारा पकड़े गए, उस वक्त उनकी बोट में सिर्फ 500 लीटर ईंधन और आधा बोरी प्याज ही बची हुई थी। पकड़े गए मछुआरों में 2 केरल और 7 तमिलनाडु के निवासी हैं।
हौंसलों और हिम्मत की कहानीः बता दें कि ये सभी मछुआरे 13 दिसंबर 2018 को बेहतर जीवन की तलाश में विदेश गए थे, लेकिन वह यमन में फंस गए और वहां उनके मालिक ने 10 माह तक उनका शोषण किया। इस दौरान मछुआरे एक बोट में ही रहे और उन्हें कमाई के नाम पर भी कुछ नहीं दिया गया। टीओआई की एक खबर के अनुसार, सकुशल भारत लौटे एक मछुआरे ने बताया कि हमें एक स्पॉन्सर द्वारा ओमान में नौकरी का वादा किया गया था। लेकिन हमें यमन भेज दिया गया। हम में से पांच को दिसंबर 2018 में तिरुवअनंतपुरम से शारजहां ले जाया गया। वहां हम एक बोट में एक माह तक रहे। इसके बाद हमें यमन ले जाया गया। बाकी सड़क मार्ग से यमन पहुंचे।
मछुआरों ने यमन में फंसने और प्रताड़ित होने के बाद वहां से भागने का फैसला किया। इसके लिए मछुआरों ने योजना बनायी और धीरे-धीरे ईंधन और खाना इकट्ठा करना शुरु कर दिया और फिर मौका पाकर 19 नवंबर को वह मालिक की बोट सहित यमन से निकल गए। 10 दिन और 3000 किलोमीटर की खुले समुद्र की यात्रा के बाद वह भारत पहुंचे। इस दौरान मछुआरों को खराब मौसम, भूख प्यास से भी जूझना पड़ा।
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जब मछुआरे लक्षद्वीप के नजदीक भारतीय सीमा में थे, तभी उन्हें भारतीय कोस्ट गार्ड के गश्ती दल ने पकड़ लिया। जांच में पता चला है कि सभी मछुआरों के पास पासपोर्ट हैं। पुलिस ने बताया कि शुक्रवार रात को सभी मछुआरे कोस्ट गार्ड के ऑफिस रुम में ही रहे। शनिवार को इमीग्रेशन की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद मछुआरों को छोड़ दिए जाने की संभावना है।
जो मछुआरे पकड़े गए हैं, उनमें तमिलनाडु के जे विंस्टन (47), एस. अल्बर्ट न्यूटन (35 वर्ष), ए एस्केलिन (29), पी अमाल विवेक (33 वर्ष), जे शाजन (24 वर्ष) शामिल हैं। वहीं एस. सहाया जगन (28 वर्ष) कन्याकुमारी और पी सहाया रवि कुमार तिरुवनेल्ली से हैं। वहीं नौशाद और निजार केरल के कोलम से ताल्लुक रखते हैं।