सुप्रीम कोर्ट में एक 80 वर्षीय वकील का हार्ट अटैक के चलते मौत हो गई। 50 साल से प्रैक्टिस कर रहे वरिष्ठ वकील एसके ढींगरा की मदद के लिए भी आस पास के लोग आगे नहीं आए। कोरोना के डर से लोग मदद के लिए आगे नहीं आए। कोरोना के डर से लोग मदद के लिए आगे नहीं आए। उनकी बेटी लोगों से मदद की गुहार लगाती रही लेकिन मदद के लिए किसी ने हाथ आगे नहीं बढ़ाया। सुप्रीम कोर्ट के बाहरी परिसर में ढींगरा अपने चैंबर में काम के सिलसिले में पहुंचे थे। इस दौरान अचानक उनकी तबियत बिगड़ गई। इस दौरान क्लर्क ने सुप्रीम कोर्ट में स्थिति डिस्पेंसरी से मदद के लिए संदेश भेजा लेकिन वहां कोई चिकित्सक मौजूद नहीं था। इस वजह से उन्हें कोई मदद नहीं मिल सकी।

तबियत बिगड़ने पर वकील ने उनकी बेटी को सूचना दी। वह सुप्रीम कोर्ट में भागते हुए पहुंची तो उन्हें गेट पर रोक लिया गया क्योंकि जहां से वह प्रवेश ले रही थी वह एक्जिट गेट था। उन्हें दूसरे गेट से आने के लिए कहा गया। वह  कार से उतरी और अंदर आईं। एंबुलेंस बुलाने गई तो उन्हें बताया गया कि एंबुलेस दूसरे जगह पार्क की गई है जब वह उस जगह पर पहुंची तो एंबुलेंस का ड्राइवर ही नदारद था।

वह ड्राइवर को कॉल करती रहीं लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इस दौरान उन्हें डिस्पेंसरी से जवाब मिला कि उनके पास कोई मेडिकल सुविधा उपलब्ध नहीं है जिससे की उनके पिता की मदद की जा सके। उन्हें अपने पिता को अस्पताल ले जाना चाहिए। वहां मौजूद एक वकील ने उनके पिता को व्हीलचेयर पर बिठाने में मदद की लेकिन  तब तक ढींगरा की सांसे रुक चुकी थी। आस पास के वकील और  क्लर्क उन्हें कोरोना के डर से दूर से ही देख रहे थे।