7th Pay Commission: सैलरी में 60 फीसदी के इजाफे के बाद भी इन कर्मचारियों को कोई लाभ नजर नहीं आ रहा है और ये मोदी सरकार से वेतन और दुरुस्त किए जाने की मांग कर रहे हैं। बात आंगनवाड़ी और आशा कर्मचारियों की है। पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि इन कर्मचारियों के मेहनताने में 60 फीसदी की बढ़ोतरी की जाएगी। सातवें वेतन आयोग की सैलरी बढ़ाने की सिफारिश के बावजूद आंगनवाड़ी और आशा कर्मचारियों के मानदेय में जो इजाफा हुआ है, उसके बाद भी वह 200 रुपये प्रतिदिन के न्यूनतन मेनताने के बराबर नहीं बैठता है। कुछ कर्मचारी सरकार के फैसले से खुश हैं तो एक वर्ग ने असंतोष जाहिर करना शुरू कर दिया है। कर्मचारियों की मांग है कि उनके वेतन में और वृद्धि की जानी चाहिए। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 11 सितंबर को ऐलान किया था कि आंगनवाड़ी कर्मियों का मानदेय 60 फीसदी बढ़ाया जाएगा और आशा कर्मियों का पारिश्रमिक अगले महीने से दोगुना कर दिया जाएगा।
एक सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा कि सरकार ने कर्मचारियों की सैलरी में जो इजाफा किया है उसके हिसाब से जो लोग 3000 रुपये पा रहे थे, उन्हें 4500 रुपये मिलेंगे और 2200 रुपये पाने वालों को 3500 रुपये मिलेंगे, यानी एक न्यूनतम मेहनताना राशि जो उन्हें मिलनी चाहिए, उससे वे अब भी वंचित हैं।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राजस्थान के अलवर में अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी बीते सोमवार (1 अक्टूबर) को एक शिक्षण संस्थान की नींव रखने पहुंचे थे, इस मौके पर कोहरापीपली गांव में उन्हें लोगों की नाराजगी की सामना करना पड़ा।
कर्मचारी 7वें वेतन आयोग मूल ग्रेड वेतन को लागू करने की मांग करते हुए कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। कर्मचारियों का आरोप है कि न तो राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधका राजे और न ही केंद्र सरकार उनकी मांगों की परवाह कर रही है। वहीं, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्य सरकारों ने अपने कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग को लागू करने की घोषणा की है।
