राज्यसभा से रिटायर हो रहे 72 सांसदों को उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने विदाई पार्टी दी। इन सांसदों ने जमकर पार्टी का लुफ्त उठाया। कुछ सांसदों ने जहां गाना गाकर समा बांधा तो किसी ने गिटार की धुन पर सभी को थिरकाया। पार्टी में पीएम मोदी भी शामिल थे, उन्होंने भी सांसदों का जमकर साथ दिया।
पार्टी में ये थे मौजूद- इस फेयरवेल पार्टी में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, पीएम मोदी, राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल, निर्मला सीतारमण, जेपी नड्डा समेत विपक्ष के भी कई बड़े नेता शामिल थे। यहां पीएम मोदी भी पार्टी का लुफ्त उठाते दिखे। पीएम के साथ रिटायर हो रहे सांसदों ने बातचीत की और उनके साथ फोटो भी खिंचवाया।
ये हो रहे हैं रिटायर- बता दें कि 72 राज्यसभा सदस्य मार्च और जुलाई के बीच सेवानिवृत्त होने वाले हैं। उनमें से पैंसठ 19 राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं जबकि सात मनोनीत सदस्य हैं। इसमें पहली बार संसद पहुंचे 45 सदस्य भी शामिल हैं। 72 में से 27, दो कार्यकाल या उससे अधिक बार सदस्य रहे हैं। वहीं बॉक्सर एम.सी.मैरी कॉम सहित नौ महिला सदस्य भी सेवानिवृत्त हो रही हैं। इसमें अपना कार्यकाल पूरा करने वाले चार मंत्री निर्मला सीतारमण, पीयूष गोयल, मुख्तार अब्बास नकवी और रामचंद्र प्रसाद सिंह हैं।
कई बड़े नाम शामिल- सेवानिवृत्त होने वाले सांसदों में एके एंटनी और अंबिका सोनी ने पांच कार्यकाल पूरे किए हैं। आनंद शर्मा, सुरेश प्रभु और प्रफुल्ल पटेल ने चार-चार कार्यकाल पूरे किए हैं। सुब्रमण्यम स्वामी, जयराम रमेश, प्रसन्ना आचार्य, नरेश गुजराल, सरदार सुखदेव सिंह ढींडसा और सतीश चंद्र मिश्रा ने तीन-तीन कार्यकाल पूरे किए हैं। पी. चिदंबरम के पास सबसे लंबा विधायी अनुभव है, वो राज्यसभा में एक कार्यकाल और लोकसभा में सात कार्यकाल पूरे कर चुके हैं।
पार्टी से पहले शेयर किए अनुभव- रिटायर हो रहे कई सांसदों ने अपने अतीत को याद किया। संदन के अदंर खट्टे-मिठे अनुभव को शेयर किया। खुद उपराष्ट्रीय नायडू ने भी एक ऐसा ही किस्सा शेयर किया। उन्होंने कहा कि वह और दिवंगत कांग्रेस नेता जयपाल रेड्डी कभी भी कलम लेकर सदन में नहीं आते थे। हमेशा दूसरों से मांगते थे, और उसे वापस करना भूल जाते थे। इसके बाद जब भी कोई सदस्य हमें अपनी ओर आते देखते तो अपना पेन निकालकर पैंट की जेब में छिपा लेते”।
वहीं पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा ने कहा- “आज हम अपने बहुत करीबी दोस्तों को खो रहे हैं… मुझे उम्मीद है कि वे इस सदन में वापस आएंगे और हम उनके साथ फिर से काम करेंगे।” सीपीआई (एम) के एलाराम करीम ने बताया कि संवैधानिक मुद्दों पर आनंद शर्मा का हस्तक्षेप कितना महत्वपूर्ण था, खासकर कश्मीर पर चर्चा के समय जब उन्होंने इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि जब हम बहस कर रहे होते हैं तो हम अपनी आवाज के लिए जोरदार बहस करते हैं। लोकतंत्र में आज्ञापालन ही एकमात्र चीज नहीं है।
