दिल्ली की टीकरी सीमा पर तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में हिस्सा लेने के बाद रविवार को पंजाब लौट रहे एक 70 वर्षीय किसान की मंगलवार सुबह निमोनिया से मौत हो गई। मानसा जिले के ग्राम धरमपुरा के किसान पियारा सिंह ट्रेन से वापस आए थे। पिछले कुछ दिनों से पियारा को ठीक नहीं लग रहा था।

दिल्ली में विरोध प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे पियारा के बड़े भाई वसाबा सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पियारा कुछ दिनों से बीमार थे। जिसके बाद उन्हें वापस घर भेजा गया। मानसा पहुंचने पर, पियारा सिंह को एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था और बाद में उन्हें संगरूर के एक निजी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। संगरूर में इलाज के दौरान पियारा की हालत बिगड़ गई और उनकी मृत्यु हो गई।

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का यह आंदोलन सितंबर के मध्य से शुरू हुआ। तब से लेकर अबतक किसानों और खेत मजदूरों सहित 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। कुछ की मौत बीमारी तो कुछ की दुर्घटनाओं के चलते हो गई है। इनमें से दो ने आत्महत्या भी की है।

पियारा सिंह बीकेयू के सदस्य हैं। वे 26 नवंबर को पहली बार किसान यूनियनों द्वारा शुरू किए गए दिल्ली चलो अभियान के तहत अपने ट्रैक्टर-ट्रॉली से राजधानी गए थे। वह 12 दिसंबर को वापस लौटा आए थे और 15 दिसंबर को टिकरी बॉर्डर पर संयुक्ता किसान मोर्चा (SKM) के मंच पर फिर लौट गए। उसकी ट्रैक्टर-ट्रॉली अभी भी टिकरी में ही खड़ी है।

धरमपुरा से ही पियारा के साथी ग्रामीण गुरतेज सिंह ने कहा कि पियारा सिंह की पत्नी की मृत्यु लगभग पांच साल पहले हो गई थी और वह अपने चार बेटों के साथ रह रहा था। उसके पास साढ़े पाँच एकड़ जमीन थी। गुरतेज ने कहा “वह गुरुद्वारे के गाँव में मुख्य सीवरदार थे और सुबह 4 बजे मंदिर के लाउडस्पीकर के माध्यम से वेक अप कॉल दिया करते थे। कानूनों के खिलाफ विरोध शुरू होने के बाद, उन्होंने प्रदर्शनकारियों के लिए दान और राशन की घोषणा की। वे लोगों को संघर्ष में शामिल होने के लिए प्रेरित करते थे।”