विदेशों में पढ़ने के लिए बहुत से छात्र जाते हैं। कोई मेडिकल की पढ़ाई के लिए जाता है तो कई छात्र मानविकी पढ़ने जाते है। इस दौरान सबसे ज्यादा भारतीय छात्र अमेरिका में रहकर पढ़ाई करते हैं। इस दौरान विदेशों में रहकर पढ़ने वाले छात्रों की जानकारी सरकार ने दी है। इस दौरान सरकार ने पिछले पांच सालों में विदेशों में रहने वाले छात्रों की मौत की भी जानकारी दी गई है।
इस समय संसद का मानसून सत्र चल रहा है। इस दौरान विदेश मंत्रालय की ओर से लोकसभा में जानकारी दी गई कि पिछले पांच सालों में विदेश में रह रहे 633 भारतीय छात्रों की मौत हो गई है। इसमें सबसे ज्यादा 172 मौतें कनाडा में हुई है। उसके बाद अमेरिका में 108 और ब्रिटेन में 58 छात्रों की मौत हुई है।
लोकसभा में विदेश राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने जानकारी दी कि विदेश में रहकर पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों की मौत प्राकृतिक कारण, दुर्घटनाओं समेत कई वजहों से हुई है। इस दौरान पिछले पांच सालों में 633 छात्रों को मौत हुई है। वहीं विदेश में रहकर पढ़ाई करने वाले छात्रों की कुल संख्या बात करें तो कुल संख्या 1.33 मिलियन है। यह संख्या हर साल दर साल बढ़ रही है।
सबसे ज्यादा छात्र कनाडा में कर रहे पढ़ाई
विदेश मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार पिछले तीन सालों में ज्यादा वृद्धि हुई है। साल 2022 में विदेश में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 0.75 मिलियन थी। जो साल 2023 में जाकर 0.93 मिलियन पहुंच गई। इस साल यह संख्या 1.33 मिलियन हो गई है। यानी 1 जनवरी तक 101 देशों में भारत के 13.35 लाख छात्र विदेशों में पढ़ाई कर रहे हैं। इसमें सबसे अधिक छात्र कनाडा में पढ़ाई कर रहे है। कनाडा में 4.27 लाख पढ़ाई कर रहे हैं। इसके बाद अमेरिका में 3.37 लाख छात्र, ब्रिटेन में 1.85 लाख जबकि ऑस्ट्रेलिया में 1.22 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं।
हिंसा में मारे गए कुल 19 भारतीय छात्र
वहीं कई देशों में भारतीय छात्रों पर हिंसक हमले भी हुए हैं। इस दौरान छात्रों की मौत भी हुई है। हिंसक मामलों में मरने वाले भारतीय छात्रों की कुल संख्या 19 है। जिसमें सबसे अधिक कनाडा में नौ, अमेरिका में छह, ऑस्ट्रेलिया, चीन, ब्रिटेन और किर्गिस्तान में एक-एक मौत हुई है।
