दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में दिल्ली सरकार और नगर निगमों से सोमवार (17 अक्टूबर) को पूछा, ह्यबजट कहां जा रहा है? अदालत ने इस तथ्य को चौंकाने वाला बताया कि सरकार और निगम के स्कूलों में शिक्षकों के कुल पदों में से आधे पद रिक्त हैं। जब अदालत को बताया गया कि शिक्षकों के नौ हजार नये पदों का सृजन किया जा रहा है जबकि करीब 26031 रिक्तियां मौजूद हैं, तो न्यायमूर्ति मनमोहन ने आप सरकार और निगमों से कहा, ह्ययह 50 प्रतिशत रिक्तियां चौंकाने वाली हैं। यह बहुत बड़ा आंकड़ा है। बजट कहां जा रहा है। अदालत ने कहा, ऐसा लगता है कि आपने पिछले कई वर्षों से किसी की भर्ती नहीं की है। तंत्र कमजोर पड़ रहा है, नहीं? आप 50 प्रतिशत क्षमता पर काम कर रहे हैं। वर्तमान शिक्षकों पर बहुत दबाव होगा।
अदालत ने सरकार से दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) के जरिए भर्ती शुरू करने के निर्देश दिए। अदालत ने दिल्ली सरकार और तीनों नगर निगमों को नोटिस जारी करके गैर सरकारी संगठन सोशल ज्यूरिस्ट की अवमानना याचिका पर आठ दिसंबर तक जवाब देने का निर्देश भी दिया। इस संगठन की ओर से पेश अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने अदालत को बताया कि निगमों और दिल्ली सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में शिक्षकों के 26031 पद रिक्त हैं जिसमें विकलांग बच्चों के लिए विशेष शिक्षक शामिल हैं।