नौ दिन तक चलने वाला 43वां नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला शनिवार से यहां शुरू हो गया। मेले का उद्घाटन मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने किया। इस पुस्तक मेले में चीन विशिष्ट अथिति देश है। रविवार को छुट्टी का दिन होने के कारण मेले में पाठकों के अच्छी संख्या में पहुंचने की संभावना है।
इस मेले को एशिया का सबसे बड़ा पुस्तक मेला माना जाता है, जिसमें इस बार करीब 30 देश हिस्सा ले रहे हैं। मेले के दौरान पैनल चर्चा, लोकार्पण समारोह, नाटक, शास्त्रीय और लोक नृत्य, कार्यशालाएं, चर्चाएं, लेखकों की बैठकें, सम्मेलन, सेमिनार और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रहेगी।
स्मृति ने चीन की हिस्सेदारी के बारे में कहा-मेरा मानना है कि 50 प्रकाशन घराने और नौ जानेमाने लेखक अपने साथ इस विश्व पुस्तक मेले में करीब पांच हजार पुस्तकें लेकर आए हैं ताकि इस आदान-प्रदान से दोनों देशों के लोग समृद्ध हो सकें। मंत्री ने कहा-राष्ट्रपति शी चिनफिंग की यात्रा के दौरान विश्व पुस्तक मेले में चीन की भूमिका को लेकर एक सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर किए गए थे और मुझे यह जिक्र करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि हमने जो कागजों में किया था वह वास्तविकता बन गया है।
उन्होंने दोनों देशों में प्रकाशन व्यापार की वृद्धि का जिक्र करते हुए कहा-आज हम दोनों देश भारत और चीन में प्रकाशन व्यापार की तेज वृद्धि की खुशी मना रहे हैं।
चीन के उप मंत्री सुन शोऊशन ने चीन और भारत के बीच प्रकाशन के अदान-प्रदान पर जोर देते हुए कहा-विश्व के प्रमुख पुस्तक मेलों में से एक एनडीडब्लूबीएफ ने भारतीय प्राचीन साहित्य और समकालीन कृतियों के सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक महत्त्वपूर्ण मंच प्रदान किया है जिसका काम अब सुचारू तरीके से चल रहा है। उन्होंने कहा कि चीन और भारत के बीच महत्त्वपूर्ण प्रकाशन संबंधी अदान प्रदान ने लोगों के बीच मित्रता को मजबूती प्रदान करने और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक अदान प्रदान को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
पुस्तक मेले में चीनी भाषा की कुछ पुस्तकें हिंदी में भी मिलेंगी। प्रकाशन संस्थान इस मेले में चुंग व्हा बुक कंपनी और चाइना ट्रांसलेशन एंड पब्लिशिंग कारपोरेशन के सहयोग से चीनी भाषा की तीन पुस्तकें हिंदी में ला रहा है, जिसमें एक उपन्यास शामिल है। रविवार को दोपहर बाद ढाई बजे इन तीनों पुस्तकों का लोकार्पण होगा। थीम पैवेलियन में दर्शन, भाषा और साहित्य की करीब एक हजार पुस्तकें प्रदर्शित की जा रही हैं। बच्चों के पैवेलियन में लेखकों से मुलाकात के अलावा अन्य कई तरह की गतिविधियों का आयोजन होगा।
हॉल नंबर सात में चाइना पैवेलियन भी इस बार मेले का खास आकर्षण होगा। इस वर्ष मेले में एक विशेष नवलेखन कार्यक्रम शुरू किया गया है जिसका उद्देश्य 40 वर्ष से कम आयु के युवा लेखकों को भारतीय भाषाओं में लिखने के लिए प्रोत्साहित करना है। इसका जिक्र करते हुए स्मृति ने कहा कि इस साल इसका प्रकाशन जहां छह क्षेत्रीय भाषाओं में हो रहा है, वहीं अगले साल से इन पुस्तकों का उन 22 भारतीय भाषाओं में प्रकाशन होगा जिन्हें भारत के संविधान ने मान्यता दी गई है।
प्रगति मैदान में आयोजित इस मेले के लिए टिकट की कीमत 20 रुपए होगी और इसकी बिक्री दिल्ली मेट्रो के 47 स्टेशनों पर नौ जनवरी से 17 जनवरी तक सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक होगी। स्कूली बच्चों और विकलांग जनों को मुफ्त में प्रवेश की अनुमति होगी। शनिवार को पहला दिन होने के कारण प्रकाशक अपने स्टॉल और किताबें सजाते नजर आए। रविवार को पाठकों की अधिक भीड़ रहने की संभावना है।