जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में केंद्रीय रिजर्व बल के 40 जवान शहीद हो गए। तीन दशक में भले ही यह सबसे बड़ा आतंकी हमला रहा हो लेकिन सुरक्षा बलों के जवान लंब अरसे से छोटे बड़े आतंकी हमले झेलते आ रहे हैं। 2014 में केंद्र में मोदी सरकार पाकिस्तान की भाषा में पाक को सबक सीखाने के दावे के साथ सत्ता में आई लेकिन 2014 के बाद भी सुरक्षा बलों ने अपनी जान गंवाई है।
साल 2014 से 2019 तक के आंकड़ों पर नजर डाले तो कुल 398 भारतीय सुरक्षाबलों के जवान शहीद हो गए हैं। South Asia Terrorism Portal के मुताबिक इन्ही वर्षों में 918 आतंकियों को मौत के घाट उतारा गया है। सेना और आतंकियों की इस जंग में 202 आम नागरिकों ने अपनी जान गंवाई है।2019 में कुल 43 जवान शहीद हुए हैं।

साल 2014 में 188 आम नागरिकों ने जान गंवाई जबकि 46 सैनिक शहीद हुए। वहीं 2015 में 19 आम नागरिक मारे गए और 43 सुरक्षाबल के जवान शहीद हो गए।2016 में शहादत की संख्या दोगुनी हो गई। इस साल आम नागरिक 14 मरे और 88 जवान शहीद हुए।2017 में 83 जवान शहीद हुए जबकि 53 आम नागरिकों की जिंदगी खत्म हो गई। 2018 में संख्या सबसे ज्यादा रही इस साल 95 जवान शहीद हुए और 86 नागरिकों की मौत हो गई।2019 में 43 जवान शहीद हुए हैं और दो आम नागरिकों की जान गई है।

कब-कब हुआ हमला:

इससे पहले दिसम्बर 2014 में बारामूला के उरी सेक्टर में आतंकी हमला हुआ जिसमें दर्जन भर से ज्यादा सैनिक शहीद हुए थे। 2015 में पंजाब के गुरदासपुर जिले के दिना नगर पुलिस स्टेशन में आतंकवादियों ने हमला किया था।इसके अलावा मणिपुर के चंदेल में 4 जून 2015 को भारतीय सेना पर हमला हुआ था जिसमें सेना के18 जवान शहीद हुए थे। इसके बाद साल 2016 में जैश ए मोहम्मद के आतंकियों ने पठानकोट एयरबेस पर हमला किया था जिसमें सेना के 7 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद 2016 में पुंछ में हमला हुआ, 2016 में उरी हमला हुए जिसमें सेना के लगभग दो दर्ज जवान शहीद हो गए थे।

साल 2016 अक्टूबर में आतंकवादियों ने सेना की एक टुकड़ी पर हमला किया था जिसमें 3 सेना के जवानों सहित 5 लोगों की मौत हुई थी।इसके अलावा जुलाई 2017 में  अमरनाथ जा रही श्रद्धालुओं पर आतंकी हमला हुआ जिसमें 7 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी । साल 2017 में सीआरपीएफ ट्रेनिंग कैंप पर हमला हुआ और पांच जवान शहीद हुए गए थे।ताजा मामला 2019 का है जहां कम से कम 40 जवान शहीद हो गए थे।