भारत में युवाओं के बीच नौकरी को लेकर नया ट्रेंड स्थापित हुआ है। युवाओं में अब नौकरी के प्रति आकर्षण घटा है। शायद यही वजह है कि बेरोजगार युवक फिलहाल नौकरियां नहीं ढूंढ रहे हैं। इसका खुलासा एक सर्वे में हुआ है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनोमी (सीएमआईई) के मुताबिक, जनवरी 2017 में देश में कुल 40.84 करोड़ लोगों के पास रोजगार था जिनकी संख्या जुलाई 2017 में घटकर 40.54 करोड़ रह गई। यानी सात महीने के अंतराल में रोजगार में करीब 30 लाख की गिरावट दर्ज की गई है। जनवरी 2017 में नौकरी ढूंढ़ने वाले बेरोजगारों की संख्या 2.59 करोड़ थी जो जुलाई में घटकर 1.37 करोड़ रह गई। यानी बेरोजगारों में अब नौकरी को लेकर ज्यादा आकर्षण नहीं रहा।
अब सवाल उठता है कि बेरोजगार युवकों ने नौकरियां ढूंढ़नी क्यों कम कर दी? इसकी एक वजह तो यह सामने आई है कि अब युवा नौकरी से ज्यादा अपना व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं। इनके अलावा सरकारी योजनाओं की वजह से भी रोजगार के प्रति नरमी पैदा हो सकती है। मौजूदा केंद्र सरकार ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से इन्टरप्रेन्योरशिप को बढ़ावा दिया है और शायद इस वजह से युवा किसी के नियंत्रण में रहकर नौकरी करने के बजाय अपना छोटा व्यवसाय करना बेहतर समझ रहे हैं।
इनके अलावा एक वजह यह भी हो सकती है कि युवा और अधिक पढ़ना चाहते हों, वो आधुनिकतम तकनीक से खुद को लैस करना चाहते हों क्योंकि हाल के दिनों में नई तकनीक का बाजार ने पुरजोर स्वागत किया है। विकसित देशों में अक्सर ऐसा देखने को मिलता है कि जब मार्केट में स्लो डाउन चल रहा होता है, तब लोग अपने को दोबारा स्किल्ड करते हैं। हो सकता है कि भारत में भी ऐसी ही स्थिति हो। लेकिन इन दोनों यानी युवा अगर ना तो उच्च अध्ययन की तरफ जा रहे हैं और ना ही इन्टरप्रेन्योर बन रहे हैं, तब इसका मतलब है कि वो कुछ नहीं कर रहे हैं। यानी एक नया ट्रेंड स्थापित हो रहा है जो खतरनाक है। जिन राज्यों में यह ट्रेंड मिला है उनमें बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और ओडिशा शामिल हैं जो कम विकसित राज्य कहलाते हैं।
बता दें कि साल 2014 के चुनावों के दौरान पीएम पद के उम्मीदवार और मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी ने युवा बेरोजगारों से प्रति वर्ष 1 करोड़ लोगों को नौकरी देने का वादा किया था लेकिन उनकी सरकार के तीन साल से ज्यादा हो चुके हैं, आजतक यह साफ नहीं हो सका है कि मोदी सरकार ने कितने लोगों को अब तक नौकरी दी है।