26 नवंबर, 2008 को मुंबई आतंकी हमलों से दहल गई थी। हमले में अपनों को खोने वालों ने ज‍िस ह‍िम्‍मत, हौसले और जुनून से ज‍िंदगी को आगे बढ़ाया, वह आतंक के मुंह पर करारा तमाचा है। उन्‍हीं के जज्‍बे को सलाम करने के ल‍िए इंड‍ियन एक्‍सप्रेस और फेसबुक ने 26 नवंबर, 2018 को मुंबई के गेट वे ऑफ इंड‍िया पर #StoriesOfStrenght कार्यक्रम आयोज‍ित क‍िया। इस कार्यक्रम में इंड‍ियन एक्‍सप्रेस के इग्‍जेक्‍युट‍िव डायरेक्‍टर अनंत गोयनका का द‍िया भाषण:  

मुंबई हमले की बरसी पर आयोजित कार्यक्रम से हमारे भीतर मौजूद मानवीय और उम्मादी सोच पर सतत बातचीत का एक मौका मिला है। एक नज़रिये से देखें तो उन्मादी सोच वालों का जीतना ज्यादा मुश्किल नहीं है। क्योंकि जब निर्दोष लोग मारे जाते हैं, जब उसकी प्रतिक्रिया में उग्र सोच को तर्कसंगत करार दे दिया जाता है। मगर, पीड़ित (मुंबई हमले) परिवारों के साथ हुए साक्षात्कार के बाद हमने पाया कि बहुत से ऐसे लोग हैं जो इस सोच से इत्तेफाक नहीं रखते। क्योंकि, जो लोग हमले के पीड़ित हैं उन्होंने अपने अपूर्णीय क्षति के बावजूद नफ़रत का रास्ता नहीं चुना। उन्होंने बदला लेने की जगह भविष्य की तरफ बढ़ने का निर्णय लिया। जिन लोगों ने त्रासदी देखी और झेली उन्होंने किसी के ऊपर शिकायत नहीं बल्कि परिस्थितियों को संभालते हुए शांति को अपना हाथियार बनाया और जिदंगी का निर्माण नए सिरे से शुरू किया। आप इस पूरे कार्यक्रम में इस तरह की कहानियों से रूबरू होंगे, जिसका ज़िक्र हमने अपनी किताब और रिपोर्ट्स में किया है।

26/11 के संदर्भ में ताज होटल के कर्मचारियों के नि:स्वार्थ और जान पर खेलकर लोगों की मदद करने का जज़्बा ‘हावर्ड’ के लिए केस स्टडी का विषय बना। इस स्टडी में पाया गया कि ताज होटल ने अपनी एचआर पॉलिसी के तहत उन लोगों को नौकरी पर रखा था जिनकी जड़ें संयुक्त परिवार से जुड़ी हुईं थीं। ऐसे परिवारों में बड़ों का आदर और दूसरों के सामने अपनी भारतीय संस्कृति को सही ढंग से पेश करने का शहूर होता है। ताज में नैतिक मूल्यों के आधार पर ही उनका चयन हुआ था। यही वजह थी कि हमले जैसी कठिन परिस्थिति में भी कर्मचारी लोगों की हर संभव मदद करते रहे। अनंत गोयनका के भाषण का पूरा वीडियो यहां देखें- 

ताज होटल के 600 कर्मचारी, जिनमें सभी वर्ग का स्टाफ शामिल था, उन्होंने हमले के दौरान लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया और फिर लौटकर दूसरों की मदद करने भी पहुंचे। उनके पास इस काम को करने के पीछे कोई वजह नहीं थी। उनके पास नौकरी से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट की कोई बाधा भी नहीं थी। उन्होंने यह कदम अपनी अंतरआत्मा की आवाज पर उठाया। इस घटना के बाद तमाम समाजशात्रियों ने भी इस पर गहन चिंतन किया और इसे बेहद ही असाधारण बताया।

कार्यक्रम में महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फड़नवीस ने भी अपना विचार रखा, यहां देखें-

अक्सर यह कहा जाता है कि आप भारत के संदर्भ में कितना भी न्यापूर्ण बात कर लीजिए, इसका एक विपरीत रूप भी मौजूद रहता है। लेकिन एक बात हम सभी जानते हैं कि हम भारतीय धर्म और आस्था में गहरा विश्वास रखते हैं। लेकिन, 26/11 की घटना को देखते हुए युवाओं का एक वर्ग इससे विमुख हो रहा है। उन्हें लगता है कि धर्म की वजह से ही आतंकी घटनाएं हो रही हैं। यह बेहद ही शर्म का विषय होगा कि भारतीय समाज धर्म को बंद आंखों से देखना शुरू कर दे। क्योंकि, इसके बाद धर्म के नाम पर लड़ने वालों का एक अखाड़ा तैयार जाएगा। जिसका फायदा उन्मादी लोग उठाएंगे। इसलिए हमें आज के दौर में धर्म को घृणा के नज़रिए से नहीं देखना चाहिए। बजाए धर्म पर एक नज़रिया इख़्तियार करने के हमें अपने प्राचीन धर्मग्रंथों का सही से अध्ययन करना चाहिए और उसमें लिखी बातों का वास्तविक मतलब खोजना चाहिए।

देखें अमिताभ बच्चन के भाषण का वीड‍ियो- 

पूरेे कार्यक्रम का वीड‍ियो –