Malegaon Blast News in Hindi: NIA कोर्ट ने मालेगांव विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित और अन्य सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। साध्वी प्रज्ञा और पुरोहित के अलावा मेजर (रिटायर्ड) रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय रहीरकर, सुधाकर धर द्विवेदी उर्फ शंकराचार्य और समीर कुलकर्णी को भी अदालत ने दोष मुक्त कर दिया है।  

29 सितंबर, 2008 को रमजान के महीने में मुस्लिम बहुल इलाके मालेगांव के भीकू चौक में बम धमाका हुआ था। इसमें छह लोगों की मौत हो गई थी और 101 लोग घायल हो गए थे।

न्यायाधीश ए.के. लाहोटी ने आदेश दिया है कि विस्फोट के सभी छह पीड़ित परिवारों को 2-2 लाख और सभी घायलों को 50,000 रुपये मुआवजे के रूप में दिए जाएं। एनआईए कोर्ट ने आरोपियों को UAPA आर्म्स एक्ट से भी बरी कर दिया। 

आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता- कोर्ट

एनआईए कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता क्योंकि कोई भी धर्म हिंसा की वकालत नहीं कर सकता। अदालत केवल धारणा और नैतिक सबूतों के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहरा सकती; इसके लिए ठोस सबूत होने चाहिए।”

‘हम बरी हो जाएंगे…’, मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी रमेश उपाध्याय का बयान

अदालत ने कहा, “अभियोजन पक्ष ने यह तो साबित कर दिया कि मालेगांव में विस्फोट हुआ था लेकिन यह साबित नहीं कर पाया कि उस मोटरसाइकिल में बम रखा गया था। अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि घायलों की संख्या 101 नहीं, बल्कि 95 साल थी और कुछ मेडिकल सर्टिफिकेट में हेराफेरी की गई थी।”

एडीजी ATS को दिए जांच के निर्देश

एनआईए कोर्ट ने कहा, “हमने एडीजी ATS को आरोपी सुधाकर चतुर्वेदी के घर में विस्फोटक रखने के मामले की जांच शुरू करने का आदेश दिया है।” अभियोजन पक्ष की दलील थी कि चतुर्वेदी के देवलाली स्थित आवास पर RDX मिला था और इसे लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित के निर्देशों पर तैयार किया गया था। 

फैसले को हाई कोर्ट में देंगे चुनौती- एडवोकेट नदीम

पीड़ित परिवारों के वकील एडवोकेट शाहिद नदीम ने कहा है कि हम इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे। उन्होंने कहा कि अदालत ने यह माना कि बम विस्फोट हुआ था। 

मामले में क्या थे आरोप?

इस मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को अक्टूबर, 2008 में गिरफ्तार किया गया था। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पर आरोप था कि विस्फोट में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल उनके नाम पर रजिस्टर्ड थी। NIA की ओर से अदालत में पेश हुए स्पेशल प्रॉसीक्यूटर अविनाश रसाल ने कई सबूतों का हवाला दिया, जिनमें कॉल डेटा रिकॉर्ड, इंटरसेप्ट की गई फोन कॉल और आरोपियों से बरामद सामग्री शामिल थी।