मोहम्मद हुसैन फाजिली को दिल्ली पुलिस की एक स्पेशल टीम ने उसके श्रीनगर स्थित घर से करीब 12 साल पहले उठाया था। लेकिन फाजिली को पुलिस रिमांड में लिए जाने के शुरुआती 50 दिन का हर एक लम्हा अभी भी याद है। 2005 के दिल्ली सीरियल ब्लास्ट से जुड़े होने के मामले में करीब 12 साल जेल में रहने के बाद 42 साल का हुसैन फाजिली शनिवार को अपने घर लौटा। फाजिली और अन्य आरोपी मोहम्मद रफीक शाह को पिछले हफ्ते दिल्ली कोर्ट ने बरी कर दिया। फाजिली ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने उनके साथ मानसिक से लेकर शारीरिक प्रताड़ना तक हर तरीका अपनाया।
फाजिली ने बताया, “मुझे वो दिन अभी भी याद हैं। वो हमारे मुह में मल डाल देते थे और फिर ऊपर से रोटी व पानी ठूस देते थे ताकी हम उसे निगल सकें।” स्पेशल सेल के सीनियर ऑफिसर ने इन आरोपों को खारिज कर दिया। कभी श्रीनगर के बाहरी इलाके में बुनकर का काम करने वाले फाजिली ने कहा कि उन्हें पुलिस रिमांड के लिए कोर्ट ले जाने से पहले ही उनपर यातनाएं शुरू हो गई थीं। उसने कहा, “हम जैसे ही दिल्ली पहुंचे, हमें लोधी कालोनी स्थित पुलिस स्टेशन ले जाया गया। एक बेंच से मेरे हाथ बांध दिए गए और उसपर लेटने को कहा गया। दो पुलिसवाले मेरे पांव पर खड़े हो गए और एक मेरे पेट पर चलने लगा। एक अन्य पुलिसवाले ने मुझे डिटर्जेंट वाला पानी पिला दिया।”
फाजिली ने आरोप लगाया कि जब उन्हें शाम को कोर्ट ले जाया जा रहा था तो धमकी दी गई कि जज से कोई शिकायत ना की जाए। फाजिली ने बताया, “उन्होंने कहा कि जज साहब के सामने कुछ बोलने की हिम्मत मत करना… अगर ऐसा किया तो इससे भी बुरा होगा।” उसने कहा कि पुलिस ने उनपर 200 ब्लैंक पेपर्स साइन करने का भी दबाव बनाया। फाजिली के मुताबिक उनकी 50 दिन की रिमांड खत्म होने पर उन्हें तिहाड़ जेल में डाला गया। उसने कहा, “तिहाड़ी में हमें टॉर्चर नहीं किया गया। लेकिन वहां पर हमला होने का डर था। वहां बंद कैदियों ने शुरुआत में हमें डराया। वो मुझसे दो किलोमीटर तक झाड़ू लगवाते थे। लेकिन बाद में उनका व्यवहार भी बदल गया। जिस दिन मुझे बरी किया गया जेल में मिठाईयां बांटी गई।”