उच्चतम न्यायालय कांग्रेस नेता सज्जन कुमार की जमानत याचिका पर तत्काल सुनवाई के अनुरोध पर विचार करने के लिए सोमवार को सहमत हो गया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कुमार को 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली एक पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफाड़े के उस कथन का संज्ञान लिया जिसमें उन्होंने कहा था कि कुमार की जमानत याचिका पर तत्काल सुनवाई की जानी चाहिए। कुमार के वकील ने जमानत की अर्जी सुनवाई के लिए शीघ्र सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया तो पीठ ने कहा ‘‘हम इस पर गौर करेंगे।’’
बता दें कि सज्जन कुमार ने सिख विरोधी दंगा मामले में उन्हें मिली उम्र कैद की सजा के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में चुनौती दे रखी है। कांग्रेस के पूर्व नेता ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि उनकी अपील लंबित रहने के दौरान उन्हें जमानत दी जाये। उच्च न्यायालय से दोषी ठहराए जाने के बाद कुमार (73) ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। वह फिलहाल जेल में हैं।
सज्जन कुमार दिल्ली में कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे हैं और उन्होंने चुनावी मैदान में कई दिग्गजों को धूल चटायी थी। उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश के कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे। इस दौरान 1-2 नवंबर को दिल्ली कैंट में पांच सिखों की हत्या कर दी गई थी। सज्जन कुमार पर आरोप था कि उन्होंने ही भीड़ को उकसाया था। इसके साथ ही राजनगर इलाके में एक गुरुद्वारे को जलाए जाने के मामले में भी सज्जन कुमार को दोषी ठहराया गया था।
सज्जन कुमार ने दोषी ठहराए जाने के बाद 31 दिसंबर, 2018 को कोर्ट में सरेंडर किया था। उसके बाद से ही वह जेल में बंद हैं। सज्जन कुमार को सजा दिलाने में दंगे की प्रत्यक्षदर्शी चाम कौर की गवाही काफी अहम साबित हुई थी। बीते साल नवंबर माह में चाम कौर ने ही जज के सामने सज्जन कुमार की पहचान की थी। के अलावा कांग्रेस के एक अन्य नेता जगदीश टाइटलर भी दंगा भड़काने के आरोपी हैं।
(भाषा इनपुट के साथ)