एक चैरिटेबल हॉस्‍प‍िटल की ओर से महेशनगर में लगाए गए आई कैंप में किए गए मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 16 लोगों की आंखों की रोशनी आंशिक तौर पर चली गई। मंगलवार को यह जानकारी अधिकारियों ने दी। हरियाणा के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री अनिल विज ने इस मामले में विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। उधर, इन मरीजों ने अब अपने आगे के इलाज के लिए पीजीआई की शरण ली है। पीजीआई सूत्रों का कहना है कि इनकी आंखों की हालत ठीक नहीं है। बता दें कि ऐसा ही मामला इस साल मार्च में पानीपत में सामने आया था। यहां 13 मरीजों को आंख की रोशनी गंवानी पड़ी।

अंबाला के सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ विनोद कुमार गुप्‍ता ने बताया कि 24 नवंबर को महेशनगर में चैरिटीबल सोसाइटी ‘सर्व कल्‍याण सेवार्थ समिति’ ने मोतियाबिंद ऑपरेशन का एक शिविर लगाया था। गुप्‍ता ने कहा, ”सोसाइटी को हमारे तरफ से मंजूरी नहीं दी गई थी। मंजूरी लेना अनिवार्य था। उन्‍होंने इजाजत के लिए 2013 में अप्‍लाई किया था। हालांकि, हमने मंजूरी देने से इनकार कर दिया, क्‍योंकि हम पहले उनके अस्‍पताल का निरीक्षण करना चाहते थे। हम उन सर्जनों की भी जानकारी चाहते थे, जो ऑपरेशन करने वाले थे। उन्‍होंने बिना इजाजत के यह कैंप लगाया। हमारी टीम ने अस्‍पताल पर छापा मारा, लेकिन वहां ताला लगा था। इस मामले में पुलिस ने लापरवाही बरतने का मामला दर्ज किया है।” डॉक्‍टर गुप्‍ता के मुताबिक, इस तरह की सोसाइटी को प्रति मरीज प्रति ऑपरेशन 1000 रुपए की प्रोत्‍साहन राशि मिलती है। इसी लालच में इस तरह के कैंप लगाए जाते हैं।