पूर्व न्यायाधीशों, पूर्व नौकरशाहों, सशस्त्र बलों के पूर्व अधिकारियों और शिक्षाविदों समेत 154 प्रतिष्ठित नागरिकों ने सोमवार को कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ राष्ट्र को नुकसान पहुंचाने के लिए नापाक साजिश के तहत झूठा और निहित स्वार्थ वाला अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने समस्या उत्पन्न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे पत्र में इन प्रबुद्ध नागरिकों ने केंद्र सरकार से पूरी गंभीरता से इन प्रदर्शनों पर गौर करने और देश के लोकतांत्रिक संस्थानों को बचाने का अनुरोध किया। साथ में इस तरह के अभियान के पीछे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जो उनके पीछे हैं। इन नागरिकों में विभिन्न उच्च न्यायालयों के 11 पूर्व न्यायाधीश, 24 सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी, भारतीय विदेश सेवा के 11 पूर्व अफसर, भारतीय पुलिस सेवा के 16 सेवानिवृत्त अधिकारी, 18 पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि पूरे भारत में भय फैलाया जा रहा है जो स्वार्थ से भरा और राष्ट्र को नुकसान पहुंचाने की नापाक साजिश लगती है। उन्होंने कहा कि अभियान समन्वित तरीके से चलाया जा रहा जिससे हिंसक प्रदर्शन हुए हैं और सरकारी एवं निजी संपत्ति को नष्ट किया गया है। नागरिकों ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के विचार को लेकर झूठ और घृणित विमर्श फैलाया गया है।
उन्होंने कहा कि सीएए बना दिया गया है जबकि एनआरसी और एनपीआर स्वतंत्रता मिलने के बाद से ही चर्चा का ऐसा मुद्दा रहा है जिसे लागू किया जाना है। नागरिकों ने कहा, ‘इसके (प्रदर्शनों) के गंभीर सुरक्षा निहितार्थ हैं और यह हमारी मातृभूमि के लिए शुभ संकेत नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘ इन प्रदर्शनों में भारत सरकार की नीतियों का स्पष्ट रूप से विरोध किया जा रहा हैं जबकि इनका इरादा इस देश के ताने बाने को नष्ट करना और देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाना है।’ उन्होंने दावा किया कि उन्हें लगता है कि पैदा की जा रही गड़बड़ी के बाहरी आयाम भी हैं।