चीन और पाकिस्तान के साथ एक साथ जंग की स्थिति को देखने हुए वायुसेना अपनी क्षमता में इजाफा कर रही है। अगर दो मोर्चे पर एकसाथ जंग होती है तो उसे 42 स्क्वाड्रन स्ट्रेंथ की जरूरत होगी जबकि अभी सिर्फ 31 ही हैं। इसी को देखते हुए वायुसेना ने 12 सुखोई विमानों की डील की है। भारत सरकार की सुरक्षा मामलों की केन्द्रीय मंत्रिमंडल की समिति यानि CCS ने बड़ा फैसला लेते हुए वायुसेना के लिए 12 सुखोई-30 फ़ाइटर की खरीद पर मोहर लगा दी है। इन विमानों के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड(HAL) के साथ 13500 करोड़ रूपये की डील भी साइन कर ली।

क्या होगी खासियत?

इन Su-30MKI को स्वदेशी तकनीक से एडवांस किया जाएगा। इसमें खतरनाक स्टेल्थ टेक्नोलॉजी, AESA राडार, मिशन कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सुईट, कॉकपिट लेआउट और हथियारों का सिस्टम बदलने वाला है। नए अपग्रेडेड Su-30MKI में ज्यादा एडवांस एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (AESA) राडार लगाए जाएंगे। यह दुश्मन को काफी दूर से ही टोह लेंगे। जंग के दौरान विमान की सिचुएशनल अवेयरनेस और बचे रहने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। इन जेट का निर्माण HAL की नासिक की फैक्टरी में किया जाएगा और इसमें स्वदेशीकरण का हिस्सा 62.6 प्रतिशत होगा। इस फैक्टरी में पहले मिग और उसके बाद रूस से लाइसेंस के तहत सुखोई-30 फ़ाइटर जेट्स का उत्पादन हो चुका है।

नए सुखोई विमानों पर नया इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सुईट लगाया जाएगा जो उसे दुश्मन के राडार में आने से बचाएगा। इसमें सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर्स होंगे. शैफ और फ्लेयर्स डिस्पेंसर्स होंगे ताकि इमरजेंसी हालात में सुखोई फाइटर खुद को और प्लेन को बचा सके। इस जेट को एडवांस्ड डेटा लिंक सिस्टम से जोड़ा जाएगा ताकि ये रीयल टाइम सूचनाओं को दे सके। Sukhoi-30MKI को मैन्ड-अनमैन्ड टीमिंग (MUM-T) तकनीक से लैस किया जाएगा। इस फाइटर जेट के साथ हमलावर या निगरानी ड्रोन्स भी उड़ान भर सकेंगे। इसमें 30mm की ग्रिजेव-शिपुनोव ऑटोकैनन लगी है जो एक मिनट में 150 राउंड फायर करती है।

वायुसेना के लिए क्यों खास है सुखोई?

सुखोई विमानों को 1990 के दशक में रूस से लिया गया था। तब भारत ने 272 सुखोई-30 विमानों का सौदा किया था। इनमें कुछ विमान रूस से बनकर आए थे और बाकी का उत्पादन भारत में HAL ने किया था। मौजूदा समय की बात करें तो वायुसेना के बेड़े में सबसे अधिक फाइटर जेट की संख्या सुखोई-30 की है। यह विमान दो सीट और दो इंजन का होता है। 2 मैक की रफ्तार से उड़ान भरने वाला ये फाइटर जेट एक बार में 3000 किमी की दूरी तय कर सकता है। इस पर ब्रह्मोस मिसाइल से लैस किया जा चुका है। यह अपने साथ 8000 किलो तक हथियार ले जाने में सक्षम है। इसी खासियत को देखते हुए बालाकोट एयरस्ट्राइक में भी इसका इस्तेमाल किया गया था।