भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) की ताकत में और इजाफा होने वाला है। मोदी सरकार ने 12 सुखोई 30MKI की खरीद को मंजूरी दे दी है। इन विमानों का निर्माण भारत में ही किया जाएगा। इन विमानों का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) करता है। यह एडवांस तकनीक के विमान माने जाते हैं। यह सौदा करीब 11 हजार करोड़ रुपये का होगा जिसमें विमान और संबंधित ग्राउंड सिस्टम शामिल होंगे। खास बात यह है कि भारतीय तकनीक और सेंसर से लैस होंगे।
क्या है इन विमानों की खासियत?
इन विमानों को रूस के Su-27 का एडवांस्ड वर्जन माना जाता है। यह एक मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट है। ये विमान हवा से जमीन और हवा से हवा में एक साथ वार करने में सक्षम हैं। यह विमान तेज और धीमी गति में हवा में कलाबाजियां खाते हुए दुश्मन को धोखा देते हुए उनपर हमला कर सकता है। यह इकलौता ऐसा फाइटर जेट है, जिसे अलग-अलग देश अपने हिसाब से ढाल लेते हैं।
बता दें कि भारत में Su-30MKI को HAL बनाती है। 1997 में HAL ने इसका लाइसेंस रूस से लिया था। दो इंजन के इस विमान में दो पायलट के बैठने की जगह होती है। इनमें से कुछ विमान को सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस को लॉन्च करने के लिए भी अपग्रेड किया गया है।सुखोई विमान 3,000 किलोमीटर तक हमला कर सकता है। जबकि इसकी क्रूज रेंज 3,200 किलोमीटर तक है और कॉम्बेट रेडियस 1,500 किलोमीटर है। यह विमान आकाश में 2,100 किलोमीटर प्रति घंटा की तेज रफ्तार से फर्राटा भर सकता है।
क्यों माना जाता है इतना खतरनाक?
यह फाइटर जेट अधिकतम 2120 किमी प्रतिघंटा की गति से उड़ता है। रेंज भी 3000 km है। बीच रास्ते में ईंधन मिले तो यह 8000 km तक जा सकता है। यह 57 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। सुखोई में लगने वाली ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज 500 km है। भविष्य में ब्रह्मोस मिसाइलों को मिकोयान मिग-29के, हल्के लड़ाकू विमान तेजस और राफेल में भी तैनात करने की योजना है। इसके अलावा पनडुब्बियों में लगाने के लिए ब्रह्मोस के नए वैरिएंट का निर्माण जारी है। बता दें कि इस विमान में 30mm की ग्रिजेव-शिपुनोव ऑटोकैनन लगी है। यह एक मिनट में 150 राउंड फायर करती है। ड्रोन और हेलिकॉप्टर को यह आसानी से निशाना बना सकता है। इन विमान में 12 हार्ड प्वाइंट्स लगे हैं। इसमें 10 तरह से बम लगाए जा सकते हैं।
