अरुणाचल प्रदेश के तवांग और पश्चिम कामेंग जिलों के बीच बनाई जा रही 12 किलोमीटर लंबी सेला सुरंग 13,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर बनी दुनिया की सबसे बड़ी बाइ-लेन सुरंग होगी। यह काफी मायनों में ख़ास है। इसके जरिए चीन के पश्चिमी थिएटर कमांड के खतरे का मुकाबला करने के लिए सैन्य क्षमताओं में भी वृद्धि हो सकेगी। इसके अलावा यह असम और तवांग में बने सेना के कोर मुख्यालयों के बीच की दूरी को भी कम करेगी।

12 किलोमीटर लंबी यह सुरंग रणनीतिक रूप से भी काफी महत्वपूर्ण है। इस सुरंग से तवांग से चीन की सीमा तक की दूरी में 10 किमी की कमी होगी। इसके अलावा यह सुरंग तवांग की पर्यटन क्षमता में भी इजाफा करेगा और अधिक पर्यटकों को आकर्षित करेगा। जिससे यह उत्तर पूर्व क्षेत्र में लोगों की पसंदीदा जगह में शुमार होगा। इसे 317 किलोमीटर लंबी बालीपारा-चारदुआर-तवांग (बीसीटी) सड़क पर बनाया गया है।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सेला टनल के सफल विस्फोट के मौके पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के साथ केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (फोटो: पीटीआई)

इस सुरंग का निर्माण सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा किया जा रहा है। इसके निर्माण में न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (NATM) का उपयोग किया जा रहा है और यह स्नो लाइन से काफी नीचे है। जिसकी वजह से सभी तरह के मौसमों के दौरान इसका उपयोग किया जा सकेगा। साल 2019 के 1 अप्रैल को सुरंग का निर्माण कार्य शुरू किया गया था और पहला विस्फोट 31 अक्टूबर, 2019 को हुआ था। जून-अगस्त 2022 तक इसके बन जाने की उम्मीद है।

गुरुवार को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सेला सुरंग के मुख्य ट्यूब का सफल विस्फोट कर अंतिम चरण के निर्माण कार्य की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह पूरे राज्य के लिए जीवन रेखा की तरह होगी। यह राज्य के लोगों के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान देगी।