PM Modi Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (24 नवंबर) को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 116वें एपिसोड में ‘एक पेड़ मां के नाम’, गौरेया, NCC, स्वामी विवेकानंद, गयाना यात्रा सहित कई मुद्दों पर बात की। प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ महीने पहले हमने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान शुरू किया था। इस अभियान में देश-भर के लोगों ने बहुत उत्साह के साथ हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान अब दुनिया के दूसरे देशों में भी फैल रहा है और हाल ही में जब वे गयाना गये थे तो वहां भी यह अभियान चल रहा था और वह इसमें शामिल हुए थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे आसपास जैव विविधता को बनाए रखने में गौरेया का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है, लेकिन आज शहरों में बड़ी मुश्किल से गौरेया दिखती है। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी के ऐसे बहुत से बच्चे हैं, जिन्होंने गौरेया को सिर्फ तस्वीरों या वीडियो में देखा है। बच्चों के जीवन में अब गौरेया की वापसी के लिए कुछ अनोखे प्रयास हो रहे हैं।
हमारे उपनिषदों का किया गया अनुवाद
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें स्लोवाकिया में हो रहे एक प्रयास के बारे में पता चला है, जो हमारी संस्कृति को संरक्षित करने और उसे आगे बढ़ाने से जुड़ा है। स्लोवाकिया में पहली बार Slovak भाषा में हमारे उपनिषदों का अनुवाद किया गया है। इन प्रयासों से भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रभाव का भी पता चलता है। उन्होंने कहा कि हम सभी के लिए ये गर्व की बात है कि दुनिया भर में ऐसे करोड़ों लोग हैं, जिनके हृदय में भारत बसता है।
गयाना में बसता है ‘मिनी भारत’
मोदी ने कहा कि भारत से हजारों किलोमीटर दूर गयाना में एक ‘मिनी भारत’ बसता है। आज से लगभग 180 साल पहले, गयाना में भारत के लोगों को खेतों में मजदूरी के लिए, दूसरे कामों के लिए ले जाया गया था। आज गयाना में भारतीय मूल के लोग राजनीति, व्यापार, शिक्षा और संस्कृति के हर क्षेत्र में गयाना का नेतृत्व कर रहे हैं। गयाना के राष्ट्रपति डॉ. इरफान अली भी भारतीय मूल के हैं, जो अपनी भारतीय विरासत पर गर्व करते हैं।
उन्होंने कहा कि कई भारतीय परिवार कई शताब्दियों से ओमान में रह रहे हैं। इनमें से ज्यादातर गुजरात के कच्छ से जाकर बसे हैं। आज भी उनके पास ओमानी नागरिकता है, लेकिन भारतीयता उनकी रग-रग में बसी है। मोदी ने कहा कि देश के कई हिस्सों में ‘युवा’ बेकार समझी जाने वाली चीजों को लेकर तरह-तरह के आविष्कार कर रहे हैं। इससे वो पैसे कमा रहे हैं, रोजगार के साधन विकसित कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने चेन्नई का एक उदाहरण साझा करते हुए बताया कि यहां बच्चों के लिए एक ऐसी लाइब्रेरी तैयार की गई है, जो क्रिएटिविटी और लर्निंग का हब बन चुकी है। उन्होंने बताया कि बिहार में गोपालगंज के ‘Prayog Library’ की चर्चा तो आसपास के कई शहरों में होने लगी है।