भारत ने मेक इन इंडिया पहल के तहत वैश्विक कंपनियों के सामने 110 फाइटर जेट बनाने का प्रस्ताव रखा है। यह दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा सौदा बताया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जानकारों ने अनुमान लगाया है कि इतनी संख्या में जेट विमान तैयार करने में 15 बिलियन डॉलर यानी करीब 973 अरब 87 करोड़ 50 लाख रुपये का खर्च आ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक 85 फीसदी जेट सिंगल सीटर होंगे जबकि बाकी दो सीटों वाले होंगे। सरकार के मुताबिक बोली लगाने वाले इच्छुक निर्माताओं को अपने प्रस्ताव 6 जुलाई तक भेजने होंगे। पीटीआई के अनुसार भारत ने शुक्रवार (5 अप्रैल) को 110 लड़ाकू विमानों के बेड़े की खरीद प्रक्रिया शुरू की। वायु सेना ने अरबों डॉलर के लड़ाकू विमानों के खरीद सौदे के लिए आरएफआई (सूचना के लिए अनुरोध) या शुरुआती निविदा जारी की है। इसमें कहा गया है कि सौदा सरकार की मेक इन इंडिया पहल के साथ होगा। अधिकारियों ने कहा कि इस रक्षा समझौते का मकसद भारत में अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकी लाना भी है।

अधिकारियों ने कहा कि हाल ही में शुरू किए गए रणनीतिक भागीदारी मॉडल के तहत विदेशी विमान निर्माता कंपनियां भारतीय कंपनी के साथ मिलकर लड़ाकू विमानों को तैयार करेंगी। कहा जा रहा है कि इस सौदे की स्पर्धा में लॉकहीड मार्टिन, बोइंग, साब और दसॉल्ट समेत अन्य लड़ाकू विमान निर्माता कंपनियां शामिल हो सकती हैं। बता दें कि वायु सेना पुराने हो चुके कुछ विमानों को हटाने के लिए अपनी लड़ाकू विमान बेड़े की गिरती क्षमता का हवाला देते हुए फाइटर जेट की खरीद प्रक्रिया में तेजी लाने पर जोर दे रही है।

सरकार ने पांच साल पहले वायु सेना के लिए 126 मध्यम आकार के कई चीजों में काम आने वाले लड़ाकू विमानों (एमएमआरसीए) की खरीद प्रक्रिया को रद्द कर दिया था, उसके बाद लड़ाकू विमानों के लिए यह पहला बड़ा सौदा बताया जा रहा है। एनडीए सरकार ने उस रक्षा सौदे की जगह सितंबर 2016 में  दोहरे इंजन वाले 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए फ्रांस सरकार के साथ 7.87 अरब यूरो यानी करीब 59000 करोड़ रुपये के सौदे पर दस्तखत किए थे।