तकरीबन 30 साल पहले भारत में अपना कारोबार शुरू करने वाली फ्रांस की दिग्गज शराब निर्माता कंपनी Pernod Ricard अब यहां नए निवेश के मूड़ में नहीं है। कंपनी ने पीएम मोदी से टैक्स संबंधी मामलों को सरल बनाने की गुजारिश की छी। लेकिन कोई सकारात्मक जवाब न मिलने की वजह से अब ये घोषणा की गई है। कंपनी का कहना है कि ईज ऑफ डूईंग बिजनेस के मामले में उसे लगातार परेशानी हो रही है। Pernod Ricard एक फ्रांसीसी कंपनी है। ये दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा वाइन और स्पिरिट विक्रेता है।

रायटर की रिपोर्ट के मुताबिक Pernod Ricard ने अपनी परेशानियों को लेकर पीएम मोदी के दफ्तर तक लाबिंग की लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी। 27 मई को कंपनी ने CBIC (सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडाय़रेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम) को पत्र लिखा था। इसके साथ में मोदी को लिखी चिट्ठी भी अटैच की गई थी। कंपनी का कहना है कि अपनी दुश्वारियों को कम करने के लिए उसने ये कवायद की थी। रिपोर्ट कहती है कि कंपनी का भारत में कानूनी विवाद 1994 से चला आ रहा है। लेकिन हाल के समय में इसमें और ज्यादा इजाफा हुआ है। मेक इन इंडिया की वजह से वैसे तकरीबन सारी विदेशी कंपनियां की जान पर संकट मंडरा रहा है। कंपनी का कहना है कि वो अपने अधिकारों की रक्षा के लिए कोशिश कर रही है।

हालांकि इससे पहले नवंबर को लिखे अपने एक पत्र में फ्रांस की कंपनी ने एक योजना साझा की थी, जिसमें 2025 तक उत्पादन क्षमता को 40 फीसदी तक बढ़ाए जाने की बात कही थी। लेकिन अब बताया जा रहा है कि टैक्स को लेकर चल रहे कानूनी पचड़ों को देखकर निवेश की योजना लगभग थम गई है। कंपनी भारत के अधिकारियों से विवाद का समाधान निकालने की गुजारिश कर रही है जिससे उसे यहां काम करने में आसानी हो सके।

ग्लोबल लेवल पर Pernod Ricard के लिए भारत सबसे बड़ा और सबसे अधिक प्रॉफिट देने वाला बाजार है। कंपनी की इंडियन यूनिट का उसकी कुल बिक्री में 10 पर्सेंट और ईबीआईटी में 8 पर्सेंट हिस्सा है। पिछले कुछ साल में प्रीमियम ब्रांड्स के चलते कंपनी की बिक्री में लगातार 15 पर्सेंट से ज्यादा बढ़ोतरी होती रही है। कंपनी ने अपनी इनवेस्टर्स मीट में कहा भी था कि सभी पोर्टफोलियो में हमारा प्रदर्शन अच्छा रहा है।

हाईवे बैन से लगा था जब झटका

सुप्रीम कोर्ट ने जब स्टेट और नेशनल हाईवे के किनारों शराब की बिक्री पर बैन लगाया तो एक तिहाई यानी करीब 30,000 शराब की दुकानों को बंद करना पड़ा था। इससे शराब की मांग में काफी कमी आई थी। हालांकि, कोर्ट ने बाद में आदेश को स्पष्ट करते हुए शराब बिक्री के नियमों में ढील देते हुए कई आउटलेट्स को दोबारा खोलने की इजाजत दी। उसके बाद के दौर में शराब कंपनियों की कंज्यूमर डिमांड में सुधार देखने को मिला।