सरकारी स्कूल के सभी लोग अपनी क्लास में स्मार्ट टीवी के माध्यम से पढ़ते है। यहां के हर क्लास में स्मार्ट टीवी लगा हुआ है। इन आदिवासी बच्चों का क्लासरूम किसी भी निजी स्कूल की क्लास से किसी मायने में कमतर नहीं दिखता है। यह तस्वीर केवल अमीरगंज ही नहीं सीहोर जिले के सभी सरकारी स्कूलों की है।
सिहोर के सभी 1552 सरकारी स्कूलों में स्मार्ट टीवी लग चुका है
जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह द्वारा शुरू की गई स्मार्ट क्लास योजना से सभी 1552 सरकारी स्कूलों में स्मार्ट टीवी लग चुका है। यहां महत्वपूर्ण है कि इसमें किसी भी तरह की कोई सरकारी मदद नहीं की गई है। सभी कुछ स्थानीय स्तर पर जनभागीदारी के माध्यम से लिया गया है। अपनी तरह की अनोखी योजना है जिसमें स्कूल के शिक्षकों ने खुद प्रयास करके लोगों से सहयोग प्राप्त किया। शायद यही वजह है कि पूरे जिले में पंद्रह दिनों के अंदर ही लगभग पांच करोड़ रुपये एकत्र करके स्मार्ट टीवी खरीद लिये गये। इसी वजह से यह योजना को सामुदायिक भागीदारी और जनसहयोग का अनूठा उदाहरण है। इस पहल में गांव के समाजसेवियों, जनप्रतिनिधियों, शिक्षकों और राजस्व विभाग के लोगों ने काफी सहयोग किया।
सरकार का ध्यान बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है
इस योजना की शुरुआत के बारे में सीहोर जिले के कलेक्टर प्रवीण सिंह बताया है कि राज्य सरकार का ध्यान बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की ओर है। इसी को अमल में लाने के लिए यह योजना शुरू की। यदि बच्चों को विजुअल दिखाते हुए पढ़ाया जाये तो समझना आसान होता है। स्मार्ट टीवी की सहायता से बच्चों को कठिन अवधारणाओं को भी आसानी से समझाया जा सकेगा।

इसी को ध्यान में रखते हुए स्मार्ट टीवी लगाने का विचार आया। योजना के परिणाम के बारे में प्रवीण कहते है कि इस तरह के परिणाम केवल इसलिए है कि शिक्षकों ने सरकारी दबाव में नहीं बल्कि स्वतःस्फूर्त रूप में काम किया।
शिक्षकों को ही इसका उत्तरदायित्व दिया गया, जिससे वे इसके साथ अपना जुड़ाव महसूस करें। दूसरी ओर जनभागीदरी की वजह से स्कूल पर भी दबाव होगा कि उसका बेहतर उपयोग करें। यदि यह सब सरकार कर रही होती तो इस तरह के परिणाम न होते। योजना में सरकार की ओर से कोई राशि खर्च नहीं की गई है। शिक्षकों ने जिस तरह से योजना को अमलीजामा पहनाया है उसको देखते हुए कलेक्टर जल्द ही उनका सम्मान करने जा रहे है। शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के अपने अगले प्रयास के रूप में जिला प्रशासन स्कूलों में दसवीं और बारहवीं के बच्चों के लिए स्कूल में अलग से क्सास शुरू करने जा रहा है, जिससे बोर्ड परीक्षा में बेहतर परिणाम मिल सके।

सीहोर में योजना को मिली सफलता के बाद इसे सभी जिलों में लागू किया जा रहा है
सीहोर जिले में स्मार्ट क्लास योजना की सफलता के बाद राज्य सरकार इसको सभी जिलों में लागू करने पर विचार कर रही है। यह जिला स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर बेहतर काम कर रहा है। कोरोना काल में लाउडस्पीकर से क्लास और मोहल्ला क्लास शुरू करने वाले नसरुल्लागंज के बीआरसीसी भूपेश शर्मा कहते है कि इस क्षेत्र में स्थानीय लोगों की सहभागिता काफी होती है। उन्हीं लोगों का दबाव शिक्षकों पर होता है जिससे सरकारी स्कूलों का स्तर लगातार बेहतर हो रहा है।
नसरुल्लागंज में प्राइवेट स्कूल छोड़कर बच्चे सरकारी स्कूलों में ले रहे प्रवेश
इसी का परिणाम है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के क्षेत्र नसरुल्लागंज में वर्ष 2011 में 92 निजी स्कूल थे, जिनकी संख्या अब केवल 64 हो गई है। सरकारी स्कूलों में सुधरती स्थिति की वजह से बच्चे निजी स्कूल छोड़कर सरकारी स्कूलों में प्रवेश ले रहे है। बच्चों की संख्या में गिरावट की वजह से निजी स्कूल लगातार बंद हो रहे है। नसरुल्लागंज सीहोर जिले के एक तहसील है। (प्रेस रिलीज)