आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं को बहुत महत्व दिया जाता है। लेकिन महिलाओं के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए 8 मार्च को संपूर्ण विश्व में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। विश्व के कई देशों में इस दिन राष्ट्रीय अवकाश भी रहता है। महिलाओं के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने के लिए इंटरनेशनल वुमेन्स डे को सब जगह विशेष रूप से मनाया जाता है। संस्कृत में एक श्लोक है- ‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:। जिसका मतलब है जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। लेकिन वर्तमान समय में महिलाओं के साथ इव टीजिंग और सेक्सुअल हैरसमेंट जैसी घटनाएं बढ़ती जा रही है। जिसके साथ हमें यह अपनी संस्कृति को ध्यान में रखते हुए महिलाओं के साथ हो रही ऐसी वारदातों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
8 मार्च को इंटरनेशनल वुमेन्स डे के दिन पूरे विश्व में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस दिन महिलाओं के प्रेम, त्याग, आत्मविश्वास और समाज के प्रति उनके बलिदान के लिए उनके प्रति सम्मान प्रदर्शित किया जाता है। कई महिला संगठनों द्वारा अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। सबसे पहले यह दिन अमेरिका में सोशलिस्ट पार्टी के आह्वान पर 28 फ़रवरी 1909 को मनाया गया था। बाद में इसे फरवरी के आखिरी रविवार को मनाया जाने लगा। सन 1910 में वूमेन्स आॅफिस की लीडर कालरा जेटकीन नाम की महिला ने जर्मनी में इंटरनेशनल वूमेन डे का मुद्दा उठाया। उन्होंने सुझाव दिया कि हर देश को एक दिन महिला को बढ़ावा देने के रूप में मनाना चाहिए।
पहले इंटरनेशनल वुमेन्स डे को अधिकारिक तौर पर 1911 में पहचान मिली थी। इस साल हम 106वां अतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने जा रहे हैं इस दिन का वास्तविक अर्थ यह है कि महिलाओं को जीवन में बराबरी का हक मिले। इसलिए इस दिन का पूरे विश्व में खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन पुरुष अपनी मां, बहन, पत्नी और बेटी को गिफ्ट भी देते हैं।
कुछ देशों में इंटरनेशनल वुमेन्स डे को लोकप्रिय बनाने के लिए महिलाओं को निजी तौर पर उपहार और ग्रीटिंग कार्ड भी दिए जाते हैं। कई लोग इस दिन इस तरह उपहार देकर महिलाओं के प्रति आभार और अपने प्यार को व्यक्त करने के अच्छा तरीका समझते हैं। हलांकि इस दिन का असली सार यह है कि महिलाओं को उनकी शक्ति और उनको अपने अधिकारों की सही पहचान हो।

