Women’s Day 2019 Speech, Quotes in Hindi: आज पूरी दुनिया में महिलाएं अपना मुकाम खुद तय कर रही हैं। वह अब अपने फैसलों को लेकर पुरुषों पर निर्भर नहीं हैं। दूसरी तरफ महिलाओं को लेकर अब पुरुषों अपनी जिम्मेदारी समझने लगे हैं। कहने को तो भारत में पुरुष प्रधान समाज है, लेकिन अब इस मिथक से आगे बढ़ते हुए वह महिलाओं की हौसला अफजाई करते हैं। पुरुष अब उनका पूरा समर्थन करते हैं। महिला दिवस के उपलक्ष्य में सरकारी और निजी संस्थानों में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस दिन महिलाओं पर लिखे गए कथनों और कोट्स को भेज लोग शुभकामनाएं देते हैं। इसके साथ ही महिलाओं के त्याग, बलिदान और समाज में उनके योगदान के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए इंटरनेशनल वुमेन्स डे पर स्पीच भी देते हैं।
घर, परिवार, समाज और दुनिया बिना महिलाओं के संभव ही नहीं। इनके बिना कोई भी कल्पना नहीं की जा सकती। फिर भी सदियों तक इनके पंख बांध के रखे गए। आज भी हैं। लेकिन पहले जैसे तो बिल्कुल भी नहीं। हालांकि लड़ाई जारी है। यह बात भी तय है कि जब तक समाज की यह मानसिकता नहीं बदलेगी, महिलाओं से जुड़ी तमाम समस्याएं दूर नहीं होंगी। उनकी और समाज की तरक्की नहीं होनी है। लेकिन वक्त ने आधी आबादी यानी महिलाओं पर भी नजरें इनायत की हैं। वह अब पूरी दुनिया के अलग अलग क्षेत्रों में कीर्तिमान रच रही हैं।
लोगों की सोच में भी वक्त बीतने के साथ-साथ बड़ा बदलाव आया है। पुराने काल से ही महिलाओं को करुणा और प्रेम की मूर्ति कहा जाता है। हालांकि, कहने को तो हमारे देश में नारी को पूजने की बात कही गई है। लेकिन विडंबना है कि इसी देश में लड़कियों को जन्म देने से पहले ही मार दिया जाता रहा है। दहेज के नाम पर बहुएं जिंदा तक जला दी गईं। घटनाएं अब भी ऐसी आती हैं। लेकिन उनका प्रतिशत पहले कहीं ज्यादा कम हो चुका है। नजरिया बदला है। बदल रहा है। बदलेगा भी। क्योंकि अब उन्होंने अपना हक मांगा है, जो पहले दबी जुबां से अपनी जरूरतें भी नहीं कह पाती थीं।
आज महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधे मिलाकर चलती है। जहां पहले घरों में लड़कियों की जल्दी शादी कराने का रिवाज था। वहीं आज लड़कियों को बेहरत शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। अब बेटियों को पहले की तरह पढ़ने से रोका नहीं जाता। खाने में वह सब मिलता है, जिन पर पहले बेटों का एकाधिकार था।
हालांकि, भारत में तो पहले से ही बेटियां इतिहास लिखती आई हैं। भारत के गुलाम होने से पहले और आजादी के बाद भी यह निरंतर चला आ रहा है। देश की बेटियां निडर रही हैं। बस समाज की दकियानूसी सोच ने उनको गर्भ में ही सोच के दायरे में समेट दिया था। लेकिन तब भी पुरुष प्रधान देश में भी महिलओं ने अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है। देश ने आजादी के कुछ समय बाद ही इंदिरा गांधी के रूप में पहली प्रधानमंत्री को देखा। उनके लिए फैसले आज भी मिसाल हैं। हालांकि अब आज के दौर में एक नहीं अनकों नाम हैं। राजनीति, खेल, शिक्षा, अभिनय, प्रशासनिक सेवाओं और यहां तक कि कृषि प्रधान देश में फसल उत्पादन में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से कम नहीं है।

Highlights
आज भी समाज के अंधेरे में कैद महिलाएं उजाले की तलाश में हैं। आज भी महिलाएं अपने ही सम्मान के लिए लड़ रही हैं। इसलिए अब सभी एक साथ आएं और मिलकर उनकी आवाज बनें और उन्हें समाज की बेड़ियों से मुक्ति दिलाएं।
इंटरनेशनल वूमेंस डे पर रक्षामंत्री निर्मला सीतारमन की ये तस्वीर वायरल हो रही है।
दुनिया है औरत से सारी,
गुलामी फिर भी सही है,
इनके लिए है जीना एक सजा,
अपनों के लिए जीती हैं।
महिला दिवस की हार्दिक बधाई
लोगों की सोच में भी वक्त बीतने के साथ-साथ बड़ा बदलाव आया है। आज लड़कियों को बेहरत शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। अब बेटियों को पहले की तरह पढ़ने से रोका नहीं जाता।
पुराने काल से ही महिलाओं को करुणा और प्रेम की मूर्ति कहा जाता है। हालांकि, कहने को तो हमारे देश में नारी को पूजने की बात कही गई है। लेकिन विडंबना है कि इसी देश में लड़कियों को जन्म देने से पहले ही मार दिया जाता रहा है।
पापा की वो लाड़ली, मां की वो जान, दिल नादान,
पर करती है, सबके लिए अपनी जान कुर्बान,
है भाइयों की मुस्कान, परिवार की शान,
ये है एक लड़की की पहचान..
महिला दिवस की हार्दिक बधाई
कोई भी राष्ट्र प्रतिष्ठा के शिखर परतब तक नहीं पहुंच सकता,
जब तक उस देश की नारी शक्ति कंधे से कंधा मिलाकर ना चले।
हैप्पी महिला दिवस
8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। यह दिवस महिलाओं के अधिकारों से शुरू हुआ था, लेकिन 2019 में इस दिवस से एक दिन पहले मोबाइल एप ट्रूकॉलर ने एक रिपोर्ट जारी कर सभी को हैरान कर दिया है। एप द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कई देशों में महिलाओं को आने वाली अनवांटेड कॉल्स और मैसेज का ब्योरा दिया गया है।
ये तेरा जर्द रुख ये खुश्क लब ये वहम ये वहशत,
तू अपने सर से ये बादल हटा लेती तो अच्छा था,
तेरे माथे पे ये आंचल बहुत ही खूब है लेकिन,
तू इस आंचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था।
Happy women's day
19 मार्च 1911 को पहली बार आस्ट्रिया डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। 1913 में इसे 8 मार्च कर दिया गया और तब से इसे हर साल इसी दिन मनाया जाता है।
1908 में न्यूयॉर्क सिटी की करीब 15000 महिलाओं ने अपने अधिकारों को लेकर पहली बार आवाज उठाई और मार्च निकाला था। वोटिंग और काम के घंटे कम करने के लिए उठी आवाज ने एक साल में सोशलिस्ट पार्टी का रूप लिया था। इसके बाद साल 1909 में यूनाइटेड स्टेट्स में पहला राष्ट्रीय महिला दिवस 28 फरवरी को मनाया गया।
पापा की वो लाड़ली, मां की वो जानदिल नादान पर करती है,
सबके लिए अपनी जान कुर्बान, है भाइयों की मुस्कान,
परिवार की शान, ये है एक लड़की की पहचान
Happy Women's Day
जर्मनी की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की महिला ऑफिस की महिला लीडर clara zetkin ने साल 1910 में हर देश में अंतराष्ट्रीय महिला दिवस सेलिब्रेट करने का सुझाव रखा था। ताकि महिलाएं अपनी मांग आगे बढ़ा सके।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की स्थापना का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को वोट डालने का अधिकार दिलाना था। पहली बार इस दिवस पर हुई बैठक में 17 देशों की 100 महिलाओं ने हिस्सा लिया था और सुझाव पर सहमति दर्ज कराई थी।
नारी एक "मां" है उसकी पूजा करो
नारी एक "बहन" है उससे स्नेह करो
नारी एक "भाभी" है उसका आदर करो
नारी एक "पत्नी" है उससे प्रेम करो
नारी एक "औरत" है उसका सम्मान करो
ट्रूकॉलर एप की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में तीन में से एक महिला अनचाहे कॉल्स और मैसेज से परेशान हैं। रिपोर्ट में बताया गया, यहां की महिलाएं सप्ताह में 52 फीसदी अनचाहे कॉल और 47 फीसदी यौन सामग्री जैसे वीडियो और तस्वीरें मिलती हैं। हालांकि पूरी दुनिया के हिसाब से 19 प्रतिशनत महिलाओं को अनचाहे कॉल और सामग्री का सामना करना पड़ता है।
पूरी दुनिया में 8 मार्च को महिला दिवस मनाया जाता है। इसे इंटरनेशनल वूमेन्स डे या अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस भी कहा जाता है। महिलाओं के सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए वूमेन्स डे सेलिब्रेट किया जाता है।