भारतीय समाज में आज भी कई जगह पर महिलाओं के साथ शोषण और प्रताड़ना की घटनाएं आए दिन सामने आती रहती हैं। वहीं समाज में बहुत सी महिलाएं शिक्षित होने के बावजूद अपने कानूनी अधिकारों से वंचित रह जाती हैं। इसके पीछे कई वजहें हैं।
बहुत सारी महिलाओं को कानून के बारे में जानकारी नहीं होने की वजह से वह कानूनी अधिकारों से वंचित रह जाती हैं। हमारा भारतीय संविधान (Indian Constitution) देश की महिलाओं को कई अधिकार प्रदान करता है, जिसके बारे में हर नारी को जानना जरूरी है।
बता दें कि भारतीय संविधान में वर्तमान समय में भी केवल 395 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियां हैं और ये 25 भागों में विभाजित है। परन्तु इसके निर्माण के समय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद जो 22 भागों में विभाजित थे इसमें केवल 8 अनुसूचियां थीं।
भारत में महिलाओं के कानूनी अधिकार क्या है?
Domestic violence Act 2005 महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाया गया था। इस एक्ट के तहत महिला को उसके साथ पति या उसके ससुराल वाले शारीरिक, मानसिक, इमोशनल, सैक्शुअल या फाइनेंशियल तरीके से प्रताड़ित करते हैं या शोषण करते हैं, तो पीड़िता उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकती है।
महिलाओं के लिए कौन कौन से कानून है?
हमारे देश में महिलाओं को सुरक्षा एवं अधिकार देने हेतु भी अधिनियम पारित किये गये है, जो निम्न हैः-
- राज्य कर्मचारी बीमा अधिनियम 1948
- दि प्लांटेशनस लेबर अधिनियम 1951
- परिवार न्यायालय अधिनियम, 1954
- विशेष विवाह अधिनियम, 1954
- हिन्दु विवाह अधिनियम 1955
- हिन्दु उत्तराधिकारी अधिनियम, 1956 (संशोधन 2005)
- अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम 1956
- प्रसूति प्रसूविधा अधिनियम 1961 (संशोधित 1995)
- दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961
- गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम 1971
- ठेका श्रमिक (रेग्युलेशन एण्ड एबोलिशन) अधिनियम 1976
- दि इक्वल रियुनरेशन अधिनियम 1976
- आपराधिक विधि (संशोधन) अधिनियम 1983
- कारखाना (संशोधन) अधिनियम 1986
- इन्डिकेंट रिप्रेसेन्टेशन ऑफ वुमेन एक्ट 1986
- कमीशन ऑफ सती (प्रिवेन्शन) एक्ट, 1987
- बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006
- घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम 2005
- पॉश – द सेक्सुअल हैरेसमेंट ऑफ विमेन एट वर्कप्लेस (प्रिवेंशन, प्रोहिबिशन एंड रीड्रेसल बेनिफिट एक्ट, 2013)
- मैटर्निटी बेनिफिट (एमेंडमेंट) एक्ट, 2017
महिलाएं शिकायत कहां कर सकती हैं?
महिलाओं के लिए कुछ विशेष नियम कानून हैं। इसके तहत यदि कोई महिला पुलिस स्टेशन जाने में सहज नहीं है तो पुलिस को घर आकर शिकायत दर्ज करनी होगी। इसके अलावा महिला कहीं से भी शिकायत दर्ज करा सकती है। इसके लिए महिला पर पुलिस स्टेशन में ही आकर शिकायत करने के लिए पुलिस कोई दबाव नहीं बना सकती। वहीं यदि किसी महिला की शिकायत पुलिस दर्ज नहीं करती है, तो महिला सीधे कोर्ट जा सकती है।
भारतीय संविधान के अंतर्गत महिलाओं को कौन कौन सी सुविधाएं दी गईं हैं क्या ये पर्याप्त हैं?
अनुच्छेद – 19 में महिलाओं को स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान किया गया है, ताकि वह स्वतंत्र रूप से भारत के क्षेत्र में आवागमन, निवास एवं व्यवसाय कर सकती है । इसके अलावा अनुच्छेद 23-24 के तहत महिलाओं के विरूद्ध होने वाले शोषण को नारी गरिमा के लिए उचित नहीं मानते हुए महिलाओं की खरीद-ब्रिकी वेश्यावृत्ति के लिए जबरदस्ती करना, भीख मंगवाना आदि को दंडनीय माना गया है।
इसके लिए सन् 1956 में ‘महिलाओं और लड़कियों के अनैतिक व्यापार का दमन अधिनियम, 1956’ (The Suppression of Immoral Traffic in Women and Girls Act) भी भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया ताकि महिलाओं के विरूद्ध होने वाले सभी प्रकार के शोषण को समाप्त किया जा सके। वहीं अनुच्छेद 39 (क) में आर्थिक न्याय के लिए महिलाओं को जीविका के पर्याप्त साधन प्राप्त करने का अधिकार एवं अनुच्छेद 39 (द) में समान कार्य के लिए समान वेतन का उपबंध है।